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वर्ष १९७६ में बंधक श्रम पद्धति उन्मूलन अधिनियम लागू होने बाद भी प्रदेश में बंधक श्रमिक की रूढ़ी समाप्त नहीं हो सकी है। प्रदेश में बंधक श्रमिक से जुडे ८५० से ज्यादा मामले उजागर हुए हैं। यह जानकारी नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने दी। मंच के प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा ने बताया कि प्रदेश के श्रम विभाग के नवीनतम वार्षिक प्रशासकीय प्रतिवेदन २०१६-१७ में बताया गया कि विगत १५ वर्ष में सर्वाधिक १६७ मामले रायसेन के रहे। भिंड १२७, मुरैना १२६, विदिशा ८५, इंदौर ४६, ग्वालियर ४३, नरसिंहपुर ४०, भोपाल ३२, छतरपुर २७ और सागर में २० मामले सामने आए।
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शर्मा ने बताया कि योजना आयोग द्वारा १०वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान श्रमिकों के कमजोर वर्गों की जांच की गई। रिपोर्ट में जबलपुर सहित प्रदेश के २० जिलों को बंधक श्रम पद्धति से संवेदनशील माना गया है। उच्च न्यायालय ने याचिका क्रमांक ६१९०/२००७ में बंधक श्रमिकों के सम्बंध में विस्तृत निर्देश दिए थे। सदस्यों ने बताया जल्द ही इस सम्बंध में अवमानना याचिका दायर की जाएगी।