ये मैसेज और किसी का नहीं बल्कि जबलपुर भाजपा के नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर का है। उन्होंने अपनी व्यथा, अपने अनुभवों को साझा किया है। उन्होंने लिखा है कि, “चिकित्सा इंतजाम पर्याप्त नहीं है। निजी अस्पतालों में जमकर मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। सरकारी डॉक्टर मृतक के स्वजनों की शिकायत सुनना तो दूर उन्हें दरवाजा बंद कर पीटते हैं। इसके बावजूद उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होती है।” उनकी पोस्ट पर कई भाजपा नेताओं ने समर्थन जताते हुए अपनी टिप्पणी शेयर की है। हालांकि ठाकुर ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि उनकी ये टिप्पणी राजनीतिक नहीं है।
वैसे ठाकुर अपनी सफाई में चाहे जो कहें, पर उन्होंने जो हकीकत पेश की है, उसे लोगों का समर्थन व्यापक तौर पर मिल रहा है। कुछ लोग तो यह भी कहने लगे हैं कि जिसमें भी थोड़ी सी मानवीयता शेष होगी वह इसी तरह की पोस्ट लिखेगा, चाहे वह जिस पार्टी का पदाधिकारी हो।
उधर कुछ लोग ये कयास लगा रहे हैं कि भाजपा नगर अध्यक्ष ठाकुर पिछले दिनों मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों द्वारा की गई मारपीट से काफी व्यथित हैं। उस व्यथा को व्यक्त करने के लिए उन्होने सोशल मीडिया का सहारा लिया है। बता दें कि पिछले दिनों एक जैन परिवार के एक सदस्य की मौत के बाद सवाल करने पर चिकित्सकों ने स्वजनों के साथ मारपीट की थी। इस मामले में भाजपा संगठन ने मृतक परिवार के साथ कानूनी लड़ाई लड़ने का दावा किया था। यह दीगर है कि अभी तक कुछ कार्रवाई नहीं की गई।
लेकिन जिस तरह से ठाकुर ने अपनी पोस्ट में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि चिकित्सक बाउंसरों से मृतक के स्वजनों को पिटवाते हैं। इस पर कार्रवाई सिर्फ इसलिए नहीं हो रही है कि कोरोना का संकट चल रहा है। डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे। ऐसे वक्त में न्याय और न्यायपालिका पहले ही क्वारंटाइन है। जीएस ठाकुर ने कहा कि ऐसे दौर में लोग कैसे जिएं। यह सरकार को दोष देने या आंदोलन का वक्त नहीं है समाज को अपनी संवेदनाओं को जागृत करना होगा। उन्होंने संदेश में कोरोना पीड़ितों के प्रति उपेक्षा और बहिष्कार का वातावरण निर्मित होने से रोकने का आह्वान किया।