जानकारों के अनुसार कपिल धारा पवित्र नर्मदा नदी का पहला वाटरफाल है। यह पवित्र नर्मदा उद्गम स्थल से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस वाटरफॉल से जब नर्मदा का कंचन जल मेकल पर्वत की 100 फीट से ज्यादा की ऊंची पहडियों से नीचे गिरता है तो यह बहुत ही मनमोहक हो जाता है। यहां पहुंचने वाले इसका वीडियो, फोटो व सेल्फी लेना नहीं भूलते हैं। प्रकृति से चारों ओर से घिरा यह वाटरफॉल सेलानियों से पूरे साल भरा रहता है। यहां आस्था और पर्यटन दोनों को मेल देखा जा सकता है।
कपिल मुनि की तपोभूमि
कपिलधारा वाटरफॉल कपिल मुनि की तपोभूमि भी कहा जाता है। वाटरफॉल के पास आज भी कपिल मुनि का आश्रम मौजूद है। ऐसा कहा जाता है कि कपिल मुनि ने यहीं वर्षों तक कठोर तप किया और सांख्य दर्शन कि रचना की थी। इसलिए उनके नास से इस वाटरफॉल का नाम कपिल धारा पड़ा। कपिल धारा के पास सदियों पुरानी कई गुफाएं हैं जहां बाबा-बैरागी तप करते हैं। यह स्थान प्रकृति की गोद में बसा बहुत कि आलौकिक स्थान है। वाटरफॉल की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके आस पास के क्षेत्र में दुर्लभ जड़ी-बूटियां बहुतायत मात्रा में पाई जाती हैं। कपिल धारा से थोड़ी दूर जाने के बाद दूध धारा वाटरफॉल है, जहां नर्मदा का पानी दूध के समान एकदम सफेद दिखाई देता है, इसी से इसका नाम दूध धारा पड़ा है। कपिल धारा में नर्मदा का एक छोर करंजिया डिंडौरी तो दूसरा अमरकंटक में देखा जा सकता है।