ऐसे फंसाते हैं जाल में
आरोपी फोन लगाने के बाद यूजर को कहते हैं कि उनका नम्बर और यूजर के नम्बर में एक डिजिट का फर्क है। ऐसे में उनका नम्बर डल गया और ओटीपी उनके पास पहुंच गया। वे यह भी कहते हैं कि यदि ओटीपी नहीं बताया, तो उनका ऑर्डर कैंसिल हो जाएगा। बात करने वाले आरोपी खुद को स्कूल या कॉलेज का छात्र बताते हैं।
ओटीपी बताते ही कट जाती है रकम
यदि यूजर आरोपी के जाल में फंस गया और उसे ओटीपी बता दिया, तो चंद पलों बाद उसके मोबाइल वॉलेट से रकम कट जाती है। जब तक वह बैंक से सम्पर्क करता है, तब तक आरोपी रकम को कहीं और ट्रांसफर कर देते हैं।
केस-01
गढ़ा के दीपेन्द्र शर्मा के फोन पर साइबर ठग ने फोन किया। आरोपी ने कहा कि उसने धोखे से उनका नम्बर डाल दिया है, जिस कारण ओटीपी दीपेन्द्र के नम्बर पर पहुंचा है। आरोपी खुद को छात्र बता रहा था। उसने यह भी बताया कि उसने 1500 रुपए का भुगतान किया है। वह बार-बार ओटीपी पूछ रहा था। संदेह होने पर दीपेन्द्र ने फोन काट दिया।
केस- 02
गोहलपुर निवासी राकेश चौरसिया के पास साइबर ठग का फोन पहुंचा। उसने बताया कि उसने कोई वस्तु ऑर्डर की थी। लेकिन मोबाइल नम्बर की एक डिजीट गलत डाल दी। इस कारण ओटीपी राकेश के फोन पर पहुंच गया। आरोपी बार-बार ओटीपी मांगता रहा। राकेश ने इंकार दिया। जिसके बाद आरोपी ने उसे अपशब्द भी कहे।