अच्छी खबर : एसएफआरआई परिक्षेत्र को ब्लूमामर्न ने बनाया ठिकाना
एशिया की दूसरी सबसे बड़ी तितली (बटरफ्लाई) जबलपुर में देखी गई है। इसे नर्मदा तट की आबोहवा और प्राकृतिक परिवेश इस तरह भा गया है कि इसने अपना घर यहीं बसा लिया है। यह दावा है राज्य वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का, जहां दो दर्जन से अधिक तितलियों का पूरा परिवार मौजूद है। ब्लूमार्मन प्रजाति की यह तितली एशिया की दूसरी सबसे बड़ी है, जो एसएफआरआई परिसर में देखी गई है। इससे बड़ी तितली गोल्डन बर्ड विंग होती है, जो हिमालय में पाई जाती है। दो पंख और पूंछ वाली नीले-काले रंग की बेहद आकर्षक ब्लूमार्मन तितली के उत्तर-मध्य के इस हिस्से में पाए जाने से वैज्ञानिक भी हैरान हैं। संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
मार्च में दिखना दुर्लभ
विशेषज्ञों के अनुसार ब्लूमार्मन प्रजाति की यह बटरफ्लाई मार्च आते ही गायब हो जाती है। लेकिन यह पूरे मार्च में परिसर में देखी गई है जो कि सबसे बड़ी हैरानी वाली बात है। जिसकी वजह परिसर में एरोमेटिक इनवायरमेंट, शुद्ध हवा, प्रदूषण मुक्त वन परिसर एवं पनपने के लिए पर्याप्त हेबीबेट मिलना है।
150 मिमी व्यास की है तितली
वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लू मॉर्मन का वैज्ञानिक नाम पापिलियो पॉलीमेनस्टर है। यह पेपिलियोनेडी फेमली से संबंधित है। जो 150 व्यास की है। इससे बड़ी गोल्डन बर्ड विंग का व्यास 190 मिमी होता है।
ब्लूमामर्न एशिया की दूसरी बड़ी बटरफ्लाई है जिसने एसफआरआई परिक्षेत्र को अपना घर बना लिया है। संस्थान इस पर पूरी तरह नजर रखे हुए है। अच्छे हेबीबेट के चलते इसकी संख्या में वृद्धि दर्ज हुई है। यह पर्यावरण और शहर के लिए भी गर्व की तरह है।
डॉ. उदय होमकर, वरिष्ठ वैज्ञानिक एसएफआरआई