यह भी पढ़ेंः- दाल निर्यातक देशों ने डब्ल्यूटीओ में उठाया भारत के दाल आयात प्रतिबंध पर सवाल
क्या है इन अटकलों का आधार
अगर किसी कंपनी के बारे में इस तरह की अटकलें लगाई जाती हैं तो उसमें कई तरह के आधार होते हैं। जानकारों की मानें तो वोडाफोल आइडिया के मर्जर होने के बाद बनी बड़ी कंपनी का लगातार ऑपरेटिंग चार्ज बढ़ रहा है। जिसकी वजह से कंपनी को लगातार लगातार लॉस उठाना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर हर महीने लाखों यूजर्स कंपनी को छोड़ रहे हैं। इन दोनों वजहों के कंपनी के मार्केट कैप में काफी कमी है। यही वजह से कि वोडाफोल के भारतीय बिजनेस से बाहर निकलने की अटकले तेज हो रही हैं।
यह भी पढ़ेंः- श्याओमी ने त्योहारी सीजन में बेचे पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी ज्यादा डिवाइस
कंपनी ने इस बात को बताया गलत
वहीं दूसरी ओर वोडाफोन आइडिया कंपनी ने इस बात को पूरी तरह से निराधार बताया कि कंपनी की डेट रिस्ट्रक्चरिंग के लिए अपने लेंडर्स से संपर्क कर रही है। कंपनी कं स्पष्टीकरण के अनुसार वोडाफोन आइडिया ने डेट रिस्ट्रक्चरिंग के लिए अपने किसी लेंडर्स से संपर्क नहीं किया है। कंपनी अपने सभी कर्जों का भुगतान कर रही है।
यह भी पढ़ेंः- लगातार दूसरे दिन 40 हजार से ज्यादा अंकों पर कायम सेंसेक्स, निफ्टी 11890 अंकों के पार
सुप्रीम कोर्ट के फैसला भी बना आधार
वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी वोडाफोन पर काफी बोझ बढ़ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों से एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू देने को कहा है। जिसकी वजह से वोडाफोन काफी दबाव महसूस कर रही है। कंपनी को तीन महीने के अंदर लगभग 28,309 करोड़ रुपए चुकाने हैं। कोर्ट के फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया का शेयर गिरकर 3.66 रुपए के साथ 52 सप्ताह के निचले स्तर पर चला गया था। वहीं दूसरी ओर कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन केवल 11,091 करोड़ रुपए का है, जबकि इसका इनवेस्टमेंट कई अरब डॉलर में है।