भाजपा शासित राज्यों में सबसे अधिक बकाया
करीब 42 हजार करोड़ रुपए का यह बकाया अब बढ़कर 60 हजार करोड़ रुपए का हो गया है। इनमें आधी से भी अधिक रकम स्वतंत्र उत्पादक इकाइयों को वसूलनी है। सभी राज्यों में सबसे अधिक बकाया उत्तर प्रदेश (6,497 करोड़ रुपए) और महाराष्ट्र (6,179 करोड़ रुपए) का है। ये दोनों राज्य भारतीय जनता पार्टी शासित प्रदेश हैं। अन्य राज्य भी बिजली उत्पादक कपंनियों को समय पर भुगतान नहीं कर रहे हैं। इन राज्यों में तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब शामिल हैं।
निजी कंपनियों को भुगतना पड़ रहा है खामियाजा
पोर्टल से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश अपने बकाये को चुकाने के लिए 544 दिन का समय लेता है वहीं महाराष्ट्र इसके लिए करीब 580 दिन का समय लेता है। पोर्टल पर दी गई जानकारी से पता चलता है कि महाराष्ट्र और तमिलनाडु पर पूरे बकाए का कुल 80 फीसदी रकम बकाया है। ये दोनों राज्य बिजली के सबसे प्रमुख उपभोक्ता हैं। टॉप 10 राज्यों की बात करें तो ये भुगतान के लिए 562 दिन का समय लेते हैं। सूत्रों ने कहा कि भुगतान में देरी की वजह से निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों के समक्ष कार्यशैली पूंजी का संकट पैदा हो रहा है।
किन कंपनियों का कितना बकाया
उत्तर प्रदेश की डिस्कॉम द्वारा 2,185 करोड़ रुपए के बिजली भुगतान न होने के कारण बजाज समूह की स्वामित्व वाली ललितपुट पावर जेनरेशन कंपनी अपने तीन हजार कर्मचारियों का भुगतान नहीं कर पा रही है। कंपनी के लिए एक बड़ी समस्या यह भी रही है कि वो पर्याप्त मात्रा में कोयले का भंडारण रखने में विफल रही है। दिसंबर 2018 तक, कुल 41,730 करोड़ रुपए के बकाए में अडानी समूह को 7,433.47 करोड़ रुपए और जीएमआर को 1,788.18 करोड़ रुपए का बकाया है। वहीं अन्य कंपनियों में सेम्बकॉर्प को 1,497.07 करोड़ रुपए और एनटीपीसी को 17,187 करोड़ रुपए का भुगतान करना है।
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