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हरित ऊर्जा का पावर हाउस बन रहा राजस्थान, 240 बिलियन डॉलर की निवेश क्षमता

भारत के रिन्यूएनबल ऊर्जा सेक्टर में 240 बिलियन डॉलर से अधिक की निवेश क्षमता है।

जयपुरMay 27, 2024 / 05:22 pm

Narendra Singh Solanki

भारत के रिन्यूएनबल ऊर्जा सेक्टर में 240 बिलियन डॉलर से अधिक की निवेश क्षमता है जो इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में इसके ग्लोबल लीडरशिप के दावे को पुख्ता करती है। बीते सालों में देश के सौर ऊर्जा क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है, जिसमें राजस्थान नेशनल रिन्यूएनबल एनर्जी अभियान में अग्रणी बनकर उभरा है। हरित ऊर्जा का पावर हाउस बन रहे राजस्थान को प्रचुर मात्रा में आरई क्षमता का आशीर्वाद प्राप्त है, जिसका दोहन नहीं हो सका है। राजस्थान रिन्यूएनबल एनर्जी पॉलिसी की ओर से साझा किए गए अनुमानों के अनुसार, राज्य 2029-30 तक 90 गीगावॉट आरई उत्पादन का लक्ष्य बना रहा है।

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ट्रांसमिशन के बिना कोई भी ट्रांजिशन संभव नहीं

2030 तक सरकार के 500 गीगावॉट रिन्यूएनबल एनर्जी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक मजबूत और प्रभावी बिजली ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है। राजस्थान के रिन्यूएनबल एनर्जी सेक्टर में निर्बाध ग्रिड इन्टीग्रेशन सुनिश्चित करने और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक योजना प्रक्रियाओं के साथ तालमेल बिठाना, रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की समीक्षा करना और ग्रिड आधुनिकीकरण को प्रोत्साहित करना कुछ आवश्यक कदम हैं। उभरते ऊर्जा परिदृश्य पर अपने विचार साझा करते हुए स्टरलाइट पावर ट्रांसमिशन के इंफ्रास्ट्रक्चर बिजनेस के सीईओ अरुण शर्मा ने कहा कि बदलते ऊर्जा परिदृश्य के बीच ट्रांसमिशन के बिना कोई भी ट्रांजिशन संभव नहीं है। राजस्थान के समृद्ध संसाधन और एक मजबूत बिजली ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की कुंजी है।

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सौर परियोजनाओं का निर्माण कार्य होता है जल्द

राजस्थान के रिन्यूएनबल एनर्जी की पूरी क्षमता को अनलॉक करना एक मजबूत बिजली ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करता है, जो जनरेशन सेंटर को दूर के लोड सेंटरों से प्रभावी ढंग से जोड़ता है। एक तरफ रिन्यूएनबल परियोजनाओं का निर्माण अपेक्षाकृत तेजी से होता है और पवन या सौर परियोजनाओं को पूरा होने में केवल 18 से 24 महीने लगते हैं, जबकि कुशल निकासी के लिए महत्वपूर्ण ट्रांसमिशन लाइनों को पूरा होने में अक्सर तीन या अधिक साल लग जाते हैं। दूरगामी सोच वाली सरकार की पहल जैसे कि ऊर्जा मंत्रालय से स्पष्ट भूमि मुआवजा दिशा—निर्देश का उद्देश्य राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) मंजूरी में तेजी लाना और परियोजना को सुव्यवस्थित तथा समय के भीतर से पूरा करना है।

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लंबी दूरी की ट्रांसमिशन संरचना बाधा बनी

राज्य की प्रभावशाली आरई वृद्धि के बावजूद अपर्याप्त सबस्टेशन और लंबी दूरी की ट्रांसमिशन संरचना बाधा बनी हुई हैं। इसका समाधान करने के लिए राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी निगम ट्रांसमिशन परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहा है और फंडिंग सुरक्षित करने और बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने के लिए स्टरलाइट पावर जैसे निजी डवलपर्स के साथ सहयोग कर रहा है। अरुण शर्मा का कहना है कि स्टरलाइट पावर देश के ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने और साकार करने के लिए मजबूत पावर ट्रांसमिशन नेटवर्क की गंभीरता और अपरिहार्य भूमिका को पहचानता है। राज्य में हमारी चल रही परियोजनाओं का लक्ष्य राजस्थान के प्रचुर ऊर्जा भंडार का दोहन करके इस लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देना है। प्रमुख पावर ट्रांसमिशन कंपनियां सक्रिय रूप से महत्वपूर्ण परियोजनाओं के माध्यम से राजस्थान के ट्रांसमिशन अंतराल को पाट रही हैं। 24 गीगावॉट से अधिक जीईसी परियोजनाएं वर्तमान में कार्यान्वयन के अधीन हैं। एक बार पूरा होने पर ये समर्पित ट्रांसमिशन कॉरिडोर फतेहगढ़ (9.1 गीगावॉट), भादला (8 गीगावॉट), रामगढ़ (2.9 गीगावॉट) और बीकानेर (7.7 गीगावॉट) में आरईजेड से रिन्यूएनबल एनर्जी का महत्वपूर्ण हिस्सा निकाल लेंगे।

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