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क्या है पूरा प्लान
इससे पहले जेट एयरवेज के कर्मचारियों के एक वर्ग ने बाहरी निवेशकों से 3,000 करोड़ रुपये जुटाकर कंपनी का प्रबंधन अपने हाथों में लेने का प्रस्ताव दिया था। प्रतिष्ठित पेशेवर और जेटएयरवेज के अंशधारक और कंपनी को कर्ज देने वाले नौ बैंकों ने परिचालन बंद कर चुकी एयरलाइन को दोबारा चालू करने के लिए लेवरेज्ड बॉय-आउट प्लान (एलबीओ) तैयार किया है। शंकरन पी रघुनाथन के नेतृत्व में पेशेवरों के समूह ने पायलटों, इंजीनियरों, कर्मचारी यूनियनों और बैंकरों समेत विभिन्न हितधारकों के सामने एयरलाइन को दोबारा चालू करने की योजना की प्रस्तुति दी है। योजना के अनुसार, जेट एयरवेज के कर्मचारी पहले कंपनी का नियंत्रण अपने हाथों में लेंगे। वे मौजूदा कर्जदाताओं से कर्ज लेंगे और कंपनी में निवेश करेंगे और इस प्रकार कंपनी के साझेदार व स्वामी बनेंगे।
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कर्मचारियों को ऐसे पैसे देंगे बैंक
प्रस्तुति के अनुसार, बैंक कर्मचारियों को 1,500 करोड़ रुपये का कर्ज दे सकते हैं। यह पर्सनल लोन के रूप में प्रत्येक कर्मचारी के छह महीने का वेतन है। कर्मचारी इस पैसे का उपयोग करके एसबीआई से कंपनी की 51 फीसदी हिस्सेदारी और इतिहाद से 12.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में करेंगे। शेष 200 करोड़ रुपये कंपनी को नए शेयर के लिए दिए जाएंगे। इस प्रकार जेट एयरवेज का नियंत्रण कर्मचारियों के पास आ जाएगा। योजना के तहत अगला कदम अक्सर विमान यात्रा करने वालों से धन जुटाना है। योजना के इस चरण में दो साल के लिए वैध 10,000 रुपये प्रति टिकट की दर से चार टिकट खरीदने वालों को पर्सनल लोन देने के लिए बैंक को तैयार किया जाएगा। इस प्रकार, टिकटों की पूर्व बिक्री से 8,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं।
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पांच साल के लिए जुटाया जाएगा 20 हजार करोड़ रुपए
एयर लाइन का नियंत्रण अपने हाथों में लेने का प्रस्ताव करने वाले कर्मचारी एक प्रस्ताव पास करेंगे जिसके तहत टिकट खरीदने वालों को वरीयता के आधार पर 150 रुपये प्रति शेयर की दर से 100 शेयर बेचेंगे जिससे 12,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। प्रस्तुति के अनुसार, इस 20,000 करोड़ रुपये की रकम का इस्तेमाल पांच साल के लिए कंपनी की कार्यशील पूंजी और कर्जदाताओं के भुगतान के लिए किया जाएगा। वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज ने 17 अप्रैल को अपनी सारी उड़ानें अस्थायी रूप से रद्द करने की घोषणा कर दी थी।
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