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वीवो के बाद अब ड्रीम इलेवन
बीसीसीआई के साथ वीवो का एग्रीमेंट था, लेकिन गलवान वैली में भारतीय सैनिकों के साथ चीनी घुसपैठियों ने जो किया, उससे पूरा देश नाराज हो गया। चीनी कंपनियों और सामानों के बॉयकोट से पूरा देश गूंज उठा। जिसकी वजह से चीनी मोबाइल कंपनी वीवो ने अपने आपको सिर्फ आईपीएल से ही नहीं बल्कि प्रो कबड्डी लीग से भी अलग कर लिया। कंपनी के साथ बीसीसीआई के साथ करीब 2200 करोड़ रुपए का कांट्रैक्ट था। आपको बता दें कि टाइटल प्रायोजन आईपीएल के व्यवसायिक राजस्व का अहम हिस्सा है, जिसका आधा भाग सभी आठों फ्रेंचाइजी में बराबर बराबर बांटा जाता है।
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टाटा ग्रुप को छोड़ा पीछे
खास बात तो ये है कि इस स्पांसरशिप के लिए टाटा ग्रुप की ओर से भी आवेदन किया गया था, लेकिन बीसीसीआई ने ड्रीम इलेवन की बिड देखकर इस कंपनी को चुन लिया। वैसे इन दोनों कंपनियों के अलावा एजुकेशन आईटी कंपनी अनअकैडमी की ओर से भी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट यानी ईओआई सौंपे थे। आईपीएल के लिए ड्रीम इलेवन कोई नया नाम नहीं है। 2018 से वो इस लीग से जुड़ा हुआ है।इसे पहले खबरें यह भी थी कि पतंजलि भी इस स्पांसरशिप को लेना चाहती है। बाद में कंपनी की ओर से इसका खंडन किया गया। शनिवार को योगगुरु बाबा रामदेव ने बयान दिया था कि पतंजलि तभी सामने आएगी जब कोई भी अन्य भारतीय कंपनी प्रायोजन के लिए तैयार नहीं होगी। अभी वित्तीय स्तर पर कोई कागजी कार्रवाई नहीं हुई है।
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आधा हो गया रेवेन्यू
वैसे बात रेवेन्यू की करें तो एक साल के लिए मिला यह कांट्रैक्ट बीसीसीआई को 50 फीसदी के नुकसान में ही उठाना पड़ा है। क्योंकि वीवो के साथ डील के अनुसार वीवो प्रत्येक वर्ष बीसीसीआई को 440 करोड़ रुपए देने होते थे, ऐसे में मौजूदा डील सिर्फ 222 करोड़ रुपए में हुई है। इसका मतलब ये हुआ कि बीसीसीआई को 50 फीसदी के रेवेन्यू का नुकसान हुआ है। वैसे यह सभी मैच खाली मैदानों में खेलें जाएंगे। यह भी एक वजह से इस साल के लिए कम बिड लगी है।