scriptप्राइवेट हाथों में जाएगा देश के पहला फाइव स्टार होटल अशोका | India's first five star hotel Ashoka to go into private hands | Patrika News
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प्राइवेट हाथों में जाएगा देश के पहला फाइव स्टार होटल अशोका

1956 में बना 63 साल का हो गया है अशोका होटल
होटल के रखरखाव में रोजाना 35 लाख रुपए होता है खर्च
यूनेस्को समिट के लिए भूमपूर्व पीएम नेहरू ने बनवाया था होटल

Sep 16, 2019 / 11:07 am

Saurabh Sharma

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नई दिल्ली। देश के पहले फाइव स्टार होटल अशोका को सरकारी हाथों से निकालकर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है। मौजूदा समय में भारतीय पर्यटन विकास निगम के संरक्षण में चल रहे अशोका होटल के रखरखाव में हो रहे खर्च की वजह से ऐसा किया जा रहा है। कुछ समय पहले नीति आयोग की ओर से सिफारिश आई थी कि होटल को किसी प्राइवेट हाथों में दे दिया जाए। ताकि इस होटल को एक बार फिर से रिडिजाइन कर तैयार किया जा सके। वहीं उन्होंने यह भी कहा था कि इस होटल को 60 साल के लीज पर दिया जाए। आपको बता दें कि देश की आजादी के बाद कोई भी फाइव स्टार होटल नहीं था। संसद भवन के नजदीक इस होटल को देश के तत्कालिक प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बनवाया था।

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सालाना करीब 127.75 करोड़ रुपए होते हैं रखरखाव में खर्च
देश का पहला फाइव स्टार होटल कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण हैं। देश की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। इसलिए इसके रखरखाव पर भी काफी ध्यान दिया जाता है। जिसकी वजह से इस होटल के रखरखाव के लिए सलाना 127.75 करोड़ खर्च होते हैं। अगर इस खर्च की रोजाना के रोजाना के हिसाब से गणना की जाए तो 35 लाख रुपए बन रहे हैं। इस कमरे कुल 550 कमरे और 161 सुइट्स हैं। जिसमें करीब एक हजार कर्मचारी काम करते हैं। मीडिया रिपोट्र्स की मानें तो इस होटल में आमतौर पर 50 फीसदी कमरे बुक हो जाते हैं। वहीं विंटर में यह आंकड़ा 80 फीसदी हो जाता है।

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आखिर क्यों पड़ी देश में अशोका होटल की जरुरत
1947 में देश आजाद हुआ था। कंगाली के दौर से गुजरने के बाद भी देश दुनिया में अपनी संस्कृति और परंपराओं और शांतिदूत होने की वजह से काफी नाम कमा रहा था। जिसकी वजह से दुनिया की बड़ी संस्थाएं भारत की ओर देख रही थी। यूनेस्को चाहता था कि भारत में उसका एक समिट कराया जाए। 1955 में यूनेस्को पेरिस समिट में जवाहरलाल नेहरू ने फोरम की बैठक में सुझाव दिया कि अगला समिट यानी 1956 में भारत स्थित दिल्ली में कराया जाए। समस्या यह थी कि दुनियाभर से आने वाले मेहमानों के ठहरने के लिए नेहरू के पास देश में कोई फाइव स्टार होटल नहीं था। जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अशोका होटल का निर्माण कराया।

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