कंपनियों की वित्तीय प्रोफाइल पर बना दबाव
फिच ने कहा, “इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड व अन्य सरकारी कंपनियों ने अपने शेयर्स की फेस वैल्यू के आधार पर 67.5 फीसदी से बढ़ाकर 110 फीसदी की घोषण की है। इन कंपनियों ने 31 मार्च 2019 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में शेयर बायबैक भी किया है।” एजेंसी ने कहा कि कंपनियों ने यह फैसला सरकार द्वारा अपने बजट में वित्तीय वादों को पूरा करने को लेकर दबावों के बाद लिया होगा। उच्च शेयरहोल्डर्स रिटन्र्स से कंपनियों के वित्तीय प्रोफाइल पर दबाव बना है। आगामी दो सालों के लिए इन कंपनियों ने निवेश को लेकर कई बड़े प्लान बनाए हैं।
घरेलू उत्पादन के साथ ऑयल रिजर्व बढ़ाने पर भी काम कर रही हैं कंपनियां
आईओसीएल और बीपीसीएल अपने रिफाइनरीज को अपग्रेड करने और बढ़ाने की प्रक्रिया में है। बता दें कि अप्रैल 2020 तक इन कंपनियों को को अल्ट्रा क्लीन EURO-VI ग्रेड के ईंधन का उत्पादन शुरू करना है। तेल कंपनियां अपने घरेलू उत्पादन के साथ-साथ ऑयल रिजर्व बढ़ाने की तैयारी में भी हैं। इसके अतिरिक्त बीपीसीएल और ओआईएल अंतिम निवेश फैसला लेने के बाद मोजॉम्बिक एलएनजी प्रोजेक्ट में निवेश करने वाली हैं। साल 2019 की दूसरी तिमाही तक इसके बारे में अतिम फैसला लिया जा सकता है।
चुनाव से कंपनियों के वित्तीय प्रोफाइल पर नहीं पड़ेगा असर
इसके पहले ही चुनावी मौसम में तेल कंपनियों को ईंधन की कीमतों को लेकर सरकार की दखलअंदाजी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, फिच ने कहा कि ईंधन की कीमतों में तेल विपणन कंपनियों के वित्तीय प्रोफाइल पर कुछ खास असर नहीं पड़ेगा। तेल कंपनियां पूरे साल के दौरान इसकी भरपाई कर सकती हैं।
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