क्या है मुख्य टारगेट दरअसल, जापान ने बुलेट ट्रेन समझौते के तहत भारत के सामने एक मुख्य टारगेट रखा था। यह टारगेट दिसंबर 2018 तक जमीन अधिग्रहण का कार्य पूरा करना था। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि भारत मुख्य टारगेट पूरा करने में पिछड़ रहा है। इसका मुख्य कारण बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के महाराष्ट्र में पड़ने वाले पांचवें कॉरिडोर के लिए जमीन नहीं मिलना है। अधिकारियों का कहना है कि 108 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर के किसान जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। स्थानीय नेता भी किसानों का समर्थन कर रहे हैं। इससे मामला फंसा हुआ है। अधिकारियों के अनुसार किसान किसी भी कीमत पर अपनी जमीन देने के लिए तैयार नहीं हैं।
आम और चीकू किसानों की जमीनों को होना है अधिग्रहण महाराष्ट्र में बनने वाले बुलेट ट्रेन के 108 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर के लिए आम और चीकू किसानों की जमीन का अधिग्रहण होना है। लेकिन किसान जमीन न देने पर अड़े हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने परिवार की खुशहाली के लिए 30 साल की मेहनत करके बगीचे तैयार किए हैं। एेसे में वे अपनी जमीन बुलेट ट्रेन के लिए कैसे दे दें। हालांकि कई किसान अपने बच्चों को सरकारी नौकरी देने की शर्त पर जमीन देने के लिए तैयार हैं, लेकिन इस पर सरकार की ओर से कोई बात नहीं की गई है।
JICA कर सकता है लोन में देरी भारत में बुलेट ट्रेन निर्माण के लिए जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) की ओर से सॉफ्ट लोन दिया जाना है। JICA अगले माह इस प्रोजेक्ट का रिव्यू करने जा रही है। रेलवे से जुड़े अधिकारियों के अनुसार जमीन अधिग्रहण में देरी के कारण JICA की ओर से सॉफ्ट लोन में देरी हो सकती है। JICA की एक प्रवक्ता के अनुसार बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट के मुख्य हिस्से को कवर करने वाले लोन अग्रीमेंट में प्रवेश करने के लिए भारत को अधिग्रहण की शर्त को पूरा करना होगा। साथ ही स्थानीय निवासियों के लिए बनाए गए पुनर्वास पैकेज को भी पब्लिश करना होगा।