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200 रुपए से लेकर 18,000 रुपए तक के बिकते हैं प्रोडक्ट्स
पुरानी दिल्ली की एक मारवाड़ी परिवार में पैदा हुई आंचल मित्तल लेदर यानी चमड़े के प्रोडक्ट्स का बिजनेस करती हैं। इस कारोबार को उन्होंने मात्र 10,000 रुपए में शुरू किया था। लेकिन, हर कामयाबी की कहानी सुहानी नहीं होती है। आंचल के साथ भी ऐसा ही था। साल 2015 में लेदर के इस कारोबार के फ्रीलांस असाइनमेंट करती थीं। उनकी कंपनी ब्रांडलेस बुकमाक्र्स, हैंडबैग, वॉलेट, पासपोर्ट पाउच, की-चेन और सूटकेस जैसे प्रोडक्ट्स बनाती है। अपने प्रोडक्ट्स के कलर पर खासा ध्यान देने वाली आंचल की कंपनी टील ब्लू, फॉरेस्ट ग्रीन और ब्लैक ब्राउन जैसे कई ट्रेंडी कलर में अपने प्रोडक्ट्स पेश करती है। उनके ये प्रोडक्ट्स 200 रुपए से लेकर 18,000 रुपए तक में बिकते हैं।
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पहली बार काम करने पर मिले थे 1,500 रुपए
कभी टेबल टेनिस में स्टेट लेवल तक खेलनी वाली आंचल मित्तल ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से मीडिया एंड एडवर्टाइजिंग की पढ़ाई की हैं। बाद में उन्हें जब यह कोर्स कुछ खास पसंद नहीं आया तो इसे साल बाद ही उन्होंने इसे छोड़ दिया। लेदर में डिजाइनिंग का कोर्स करने के लिए उन्होंने साल 2010 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी ( NIFT ) दिल्ली में दाखिला लिया। योरस्टोरी डॉटकॉम नाम की वेबसाइट से इंटरव्यू में आंचल बताती हैं, “मैंने 2010 फैशन वीक के दौरान पहली बार एक डिजाइनर के साथ बतौर असिस्टेंट काम किया और उसके लिए मुझे 1,500 रुपये मिले थे। मैंने फ्री में काम किया था और उससे मिला अनुभव मेरे बहुत काम आया।”
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परिवार से छुपकर किया रिसर्च एंड डेवलपमेंट का कोर्स
आंचल ने जालंधर की एक टेनरी में ट्रेनिंग के दौरान लेदर की बारीकियां समझीं। इसके बाद उन्हें अपने फाईनल ईयर प्रोजेक्ट में टॉप डिजाइनर सामंत चौहान के साथ काम करने का मौका मिला। कॉलेज के दिनों से कई प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाली आंचल को जब कोर्स के अंत में एक बड़े डिजाइनर के साथ काम करने का ऑफर मिला तो उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया। इसके बाद वो फ्रीलांस प्रोजेक्ट पर ही फोकस करने लगीं। इन्हीं असाइनमेंट्स से जब वो 10,000 रुपए जमा करने में कामयाब हुईं तब उन्होंने इसी पैसे से खुद का बिजनेस खोलने का फैसला लिया। इस दौरान उन्होंने अपने परिवार से छुप कर 9 महीनों का एक रिसर्च एंड डेवलपमेंट कोर्स भी किया। उन्होंने अपने इंटरव्यू में आगे बताया, “एक एक्सपोर्ट हाउस में मेरी मास्टरजी (दर्जी) से पुरानी जान-पहचान थी। वह लेदर प्रॉडक्ट्स की सिलाई करते थे, वही मेरे पहले कर्मचारी बने। उनका घर मेरा ऑफिस बन गया, जहां हमने पहला सैम्पल्स बनाया।”
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चार साल में 25 लाख रुपए पहुंचा कंपनी का टर्नओवर
आंचल ने अपनी कंपनी का नाम अपने पिता नवीन और माता निशा के नाम के पहले अक्षर को मिलाकर एन स्कवेयर रखा। ब्रांडलेस नाम रखने के बारे में आंचल बताती हैं कि यह एक सटायरिकल जोक है, ये उन लोगों के लिए है जो ब्रांड के नाम पर वैल्यू की परवाह किए बिना ही प्रोडक्ट्स खरीद लेते हैं। साल 2015 में लॉन्च होने के बाद ही उन्होंने पहले साल में ही करीब 50,000 रुपए का कारोबार कर लिया था। मात्र चार सालों में उनकी कंपनी को कुल टर्नओवर बढ़कर 25 लाख रुपए हो गया है। इस कंपनी के प्रोडक्ट्स कुछ चुनिंदा दुकानों पर ही मिलते हैं। इस कंपनी की खास बात यह भी है कि इसकी कोई भी प्रोडक्ट्स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नहीं बिकते हैं। इसको लेकर आंचल का कहना है कि उनकी प्राथमिकता प्रोडक्ट्स की कीमत बेहद कम रखने की होती है। उन्होंने बेहद कम मुनाफे पर काम किया है और इसके लिए वह प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता कोई समझौता नहीं करती हैं।
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