खासतौर पर इंदौर के एलीट क्लास में तो शरीर की कई व्याधियों से बचने के लिए फिजियोथेरेपी का चलन बढ़ा है। इसके लिए थेरेपी सेंटर्स ने बाकायदा वीकली, क्वार्टरली और मंथली पैकेजेस तय किए हैं। इनमें फिजियोथेरेपिस्ट घर जाकर, होटल जाकर या अपने निजी क्लीनिक पर बुलाकर फिजियोथेरेपी दे रहे हैं। सिटिंग जॉब वाले भी ले रहे थेरेपिस्ट की मदद एकसपट्र्स कहते हैं कि बीमार लोग ही नहीं बल्कि ऑफिस में बैठकर दिनभर काम करने वाले लोग भी अब फिजियोथेरेपिस्ट की मदद लेने लगे हैं। जो लोग जिम जाना पसंद करते हैं, लेकिन चोट के कारण जा नहीं पाते, वे भी फिजियोथेरेपी के जरिए बॉडी को फिट रख रहे हैं। इन फिजियोथेरेपी सेंटर्स पर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस उम्मीद से पहुंच रहे हैं कि उनका कल कम से कम हेल्थ को लेकर तो सुरक्षित है। इसीलिए इंदौर आज फिजियोथेरेपी का हब बन गया है। यहां करीब 250 फिजियोथेरेपी सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। इन सेंटर्स का सालाना कारोबार 50 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है।
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फिट रहने का फंडा अब फिजियोथेरेपी
Experts का कहना है कि फिजियोथेरेपी अब केवल चोटों आदि को ठीक करने का माध्यम ही नहीं रह गई है, बल्कि यह डेली लाइफ में भी फिट रहने का बड़ा फंडा बन गई है। स्थिति यह है कि युवाओं की संख्या भी इस क्षेत्र में कम नहीं है। ये युवा भविष्य में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए फिजियोथेरेपी में इंट्रेस्ट दिखा रहे हैं।
आपरेशन की जरूरत नहीं, फिजियोथेरेपी से ठीक हुए मरीज
Case 1- देवास निवासी 23 वर्षीय महिला स्लिप ***** से पीडि़त थी। कई डाक्टरों को वह दिखा चुकी थी, सभी ने उसे ऑपरेशन करवाने की सलाह दी। लेकिन महिला ने फिजियोथेरेपिस्ट का सहारा लिया। उसे सही होने में एक सप्ताह लगा। लेकिन आज वह स्वस्थ है और न उसे ऑपरेशन करवाने की जरूरत पड़ी। आज वह मेडिसिन फ्री लाइफ जी रही है। इस हेल्दी लाइफ के लिए उसे रोजाना केवल सामान्य एक्ससाइज करनी होती है।
Case 2- इंदौर निवासी 40 वर्षीय महिला को मोटापे और घुटनों में दर्द की शिकायत थी। दर्द के कारण उसका चलना-फिरना मुश्किल हो चला था । हर रोज पेन किलर लेना उसकी आदत बन चुका था। वहीं डॉक्टर्स ने इसका इलाज बताया था नी ट्रांसप्लांट। लेकिन किसी के माध्यम से वह फिजियोथेरेपी सेंटर पर पहुंची। वहां थेरेपी की मदद से आज वह नॉर्मल और हेल्दी लाइफ जी रही है।
जीवन को ऐसे बचा रहे फिजियोथेरेपिस्ट
– फिजियोथेरेपी की खासबात यह है कि यह जोड़ों का दर्द, क्षतिग्रस्त हड्डी और मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं के कई मामलों में जहां सर्जरी की आवश्यकता होती है, उन मरीजों को फिजियोथेरेपी देकर सर्जरी से बचाया जा रहा है।
– फिजियोथेरिपिस्ट बताते हैं कि लोगों में अब फिजियोथेरेपी को लेकर अवेयरनेस बढ़ी है।
– कोरोना के बाद थेरेपी करवाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
– बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास से जुड़ी असामान्यताएं, पीठ दर्द, पुराने आस्टियोआर्थराइटिस, गठिया, पैल्विक फ्लोर की विकृति जैसे दर्द और मूत्र असंयम, मांसपेशियों, रंध्रों और जोड़ों की चोटों, हृदय संबंधी विकार, श्वसन प्रणाली के विकार, पार्किंसंस रोग सहित तंत्रिका संबंधी स्थितियां, चोटों में, कमजोर मांसपेशियों को मजबूत करने आदि में फिजियोथेरेपी का बड़े स्तर पर सहारा लिया जा रहा है।
– इसके अलावा बाल चिकित्सा फिजियोथेरेपी, महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित फिजियोथेरेपी, न्यूरोलाजिकल फिजियोथेरेपी, आर्थोपेडिक फिजियोथेरेपी, खेल-संबंधी फिजियोथेरेपी, कार्डियोरेस्पिरेटरी फिजियोथेरेपी भी जरूरत के मुताबिक की जा रही है।
फिजियोथेरेपी के पैकेज
1. Weekly- 5000 Rs.
2. Qwaterly- 11000 Rs.
3. Monthly- 22000 Rs.
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50 करोड़ से अधिक का सालाना कारोबार
इंडियन एसोसिएशन आफ फिजियोथेरेपी के जाइंट सेक्रेटरी डॉ. विवेक जैन के मुताबिक इंदौर में करीब 250 फिजियोथेरेपी सेंटर हैं। इंदौर में इसका सालाना कारोबार 50 करोड़ से ज्यादा का हो चला है। अब आधुनिक तकनीक की मदद से भी फिजियोथेरेपी की जा रही है। कई मरीजों को तो सर्जरी तक से बचा लिया गया है। पहले मरीजों को डॉक्टर फिजियोथेरेपी के लिए भेजते थे, लेकिन अब 80 फीसदी मरीज खुद ही सीधे फिजियोथेरेपिस्ट के पास पहुंच जाते हैं। हालांकि आपकी बीमारी या फिजिकल प्रॉब्लम कब सही होगी, यह नहीं कहा जा सकता, आपकी फिजिक्स और खान-पान की आदतें थेरेपी का असर जल्दी या देर से नजर आने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। इसकी खासियत यह है यह मेडिसिन फ्री होती है और आपको मेडिसिन फ्री लाइफ की ओर ले जाती है।