केंद्र 60, राज्य 40 फीसदी लागत करेगा वहन एमएसई सीडीपी (क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम) के तहत 15 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार किया जा सकता है। इसके लिए केंद्र 60 और राज्य 40 फीसदी लागत वहन करती है। जिला उद्योग केंद्र के जीएम एसएस मंडलोई ने बताया कि यह चिप्स क्लेस्टर प्रदेश का पहला है। इसमें पहले बिजली, पानी, सडक़ आदि भूलभूत सुविधाएं तैयार की जाएगी। जिसके बाद चिप्स उत्पादन के दौरान निकलने वाले प्रदूषित जल को साफ करने के इंफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी), आधुनिक मशीन, प्रोसेसिंग यूनिट, स्टोरेज, एक्जीविशन सेंटर, ऑफिस आदि की सुविधाएं भी रहेगी। हालांकि प्रोजेक्ट की डीपीआर बनने में ही 2 से 3 महीने का समय लग जाएगा।
खेती में उपयोग कर पानी अफसरों के अनुसार आलू चिप्स बनाने के लिए निकलने वाले स्टार्च को ईटीपी प्लांट की मदद से अलग कर दिया जाएगा। जिसके बाद इस पानी को सिंचाई में भी उपयोग किया जा सकता है।
विदेशों में भी है हमारे चिप्स की मांग कच्चे आलू पपड़ी निर्माता संघ अध्यक्ष मनोज सैनी ने बताया कि महू और आस- पास बड़े पैमाने पर चिप्स के आलू की खेती की जाती है। यहां कारखानों में तैयार चिप्स गुजरात, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली सहित अन्य राज्यों में जाती है। फिर के बाद वहां से नेपाल, खाड़ी देश, पाकिस्तान सहित अन्य देश में जाती है।
20 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार वर्तमान में 150 से अधिक कारखाने संचालित होते है, जहां पर 10 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। क्लस्टर बनने के लिए यह संख्या बढकऱ 20 हजार हो जाएगी। क्लस्टर बनने से नामी कंपनी भी रुचि दिखाएंगी।
फैक्ट फाइल-
– तहसील में 150 से अधिक आलू चिप्स कारखाने हो रहे संचालित
– 100 करोड़ रुपए से अधिक का हो रहा कारोबार
– चार महीने में 2.5 से 3 लाख टन चिप्स होती है तैयार
– मानपुर के पास कुवाली में 20 एकड़ में तैयार होगा आलू चिप्स क्लस्टर
– एमएसईसीडीपी योजना के तहत तैयार होगा प्रोजेक्ट
वर्जन- आलू चिप्स क्लस्टर को लेकर प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी है। जिसके लिए कुवाली में 15 से 20 एकड़ जमीन चिह्नित की है। जल्द ही इसकी डीपीआर तैयार हो जाएगी।
-अक्षत जैन, एसडीएम, महू