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इंदौर

जर्मन डुअल वीटीई सिस्टम से बढ़ाएंगे यूथ की स्किल

नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी मनीष कुमार ने आइआइएम में विशिष्ट लेक्चर सीरीज में कहा

इंदौरJul 08, 2018 / 04:09 pm

amit mandloi

iim indore

जर्मन डुअल वीटीई सिस्टम से बढ़ाएंगे यूथ की स्किल

इंदौर.आइआइएम इंदौर ने विदेश मामलों के मंत्रालय के सहयोग से शनिवार को विशिष्ट लेक्चर सीरीज आयोजित की, जिसमें पूर्व भारतीय राजदूत और गेटवे हाउस की निदेशक नीलम देव मुख्य स्पीकर रहीं। इसके अलावा भारत के आर्थिक विकास के लिए इंडस्ट्री, इनोवेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर विषय पर एक इंडस्ट्री मीट भी हुई। इसमें नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा, अब प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत जिलास्तर पर रोजगार पैदा करने और युवाओं को स्किल बनाने के प्रयास होंगे। इसके तहत स्थानीय स्तर पर जॉब्स की क्या कंडीशन, कितने जॉब पैदा हो सकते हैं, युवाओं को किस तरह के कौशल से रोजगार मिल सकता है। इस हिसाब से काम होगा। उन्होंने कहा, सरकार का ज्यादा फोकस युवाओं के स्किल्स सुधारने में है। इसलिए जर्मन डुअल वीटीई सिस्टम को लाने की तैयार कर रहे हैं। इसमें इंडस्ट्री और आइटीआई साथ में कोर्स चलाएंगे। फिलहाल देश में 11 हजार आइटीआइ हैं।
ट्रेनिंग के बाद 50 फीसदी युवाओं को मिला रोजगार
उन्होंने बताया, 2017-18 में सभी मंत्रालयों की स्किल योजनाओं के तहत 1 करोड़ युवाओं को ट्रेन किया जा चुका है। जबिक पीएम कौशल विकास योजना में 20 लाख युवाओं की स्किलिंग हुई है। ट्रेनिंग पार्टनर्स की रिपोर्ट के मुताबिक 50 फीसदी को जॉब मिली है।
स्कूल, कॉलेज लेवल से ही ट्रेनिंग की तैयारी
पीएम कौशल विकास योजना अब कॉलेज व स्कूली संस्थानों के साथ चलाई जाएगी। कॉलेज लेवल पर ही ब्लॉक चैन, रोबोटिक्स, सायरबर सिक्युरिटी जैसे कोर्स पढ़ाएंगे, जिससे रोजगार मिलने से अच्छी संभावना है। कई कॉलेजेस खुद को स्किल विवि में बदलने के लिए सपंर्क में हैं।
अमरीका में किसानों को सब्सिडी से किसी को आपत्ति नहीं : देव
पूर्व एंबेसडर नीलम देव ने ग्लोबल वल्र्ड में हो रही उथल-पुथल से भारत पर पडऩे वाले प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब विश्व संस्थाएं बनी तो हम यूके के अधीन थे। इकोनॉमी छोटी थी इसलिए कभी हमारे हितों पर ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन अब हम ब्रिस्क, शंघाई कॉरपोरेशन सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के सदस्य बन गए हैं। अब हम वैश्विक नीतियों पर प्रभाव डाल सकते हैं। अमरीका ट्रेड वॉर का टारगेट चीन है। इसका भारत पर ज्यादा असर नहीं होगा। हमें यूरोपियन प्रोपेगेंडा में नहीं पडऩा चाहिए, बल्कि इन स्थितियों में फायदा उठाने का मौका बनाना होगा। वल्र्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में सिर्फ भारत के पीडीएस सिस्टम को कोसा जाता है, जबिक अमरीका और यूरोपियन देश भी अपने किसानों को सब्सिडी देते हैं, इस पर कोई बात नहीं करता। इसलिए हमें भी ऐसी संस्थानों में सदस्य बनकर प्रभाव डालना जरूरी है। मैन्युफेक्चरिंग और एक्सपोर्ट क्षमता बढ़ानी होगी, तभी हम नीतियां बदलने में भूमिका निभा सकेंगे। उन्होंने बताया, 2016 में हुई तीन घटनाओं ने दुनिया में नया दौर शुरू कर दिया है। पहला अमरीका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का चुनाव, यूरोप से ब्रिटेन का अलग होना और चीन द्वारा साउथ चाइना सी को लेकर इंटरनेशन ट्रिब्यूनल के दिए फैसले को नकारने से वैश्विक व्यवस्था बदली है।

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