खामोशी और पक्षियों की आवाजें गुदगुदाती हैं आपको
बेहद खूबसूरत इस झील में आम दिनों में 100 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां यहां देखने को मिलती है। वहीं सर्दियों के सीजन में प्रवासी पक्षी भी यहां आते हैं। कुल मिलाकर अगर आप बर्ड लवर हैं, तो यहां आकर आपका समय बेहद रोमांचक हो जाएगा। पक्षियों की चहचहाहट के बीच समय बिताने का एक अलग ही सुकून है। यहां पर बैठने की अच्छी व्यवस्था है। यहां पर लोग सुबह और शाम के समय टहलने के लिए आते हैं। शहर के व्यस्त जीवन से कुछ विराम लेकर आप यहां अपना दिन गुजार सकते हैं। यहां आने का समय सूर्यास्त और सूर्यादय का होता है, क्योकि इस समय पक्षी यहां आते हैं।
जानें रोचक इतिहास
सिरपुर झील का निर्माण 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में इंदौर राज्य के होल्कर द्वारा किया गया था। यहां पर उन्होनें झील का अच्छी संरचना बनाई थी। भारत की स्वतंत्रता के बाद शाही घराने विलुप्त होने के बाद झील के चारों ओर तेजी से अतिक्रमण किया गया। झील में मछली पकडऩे, अवैध शिकार, मवेशी चराने, अपशिष्ट पदार्थो की डंपिंग, आदि जैसी अवैध गतिविधियों से झील प्रदूषित हो रही थी। जिससे यह झील नष्ट होने की कगार पर आ गई थी। मगर झील की खूबसूरती फिर से वापस लाने के लिए एक प्रसिध्द व्यक्ति और पद्मश्री पुरस्कार विजेता भालु मोंधे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होने झील को पुनस्र्थापित करना शुरू किया। भालु मोंधे और उनके दोस्त अभिलाष खांडेकर ने मिलकर 1992 में एक एनजीओ द नेचर वालंटियर्स की स्थापना की। इसके बाद झील एक सुंदर पर्यटन स्थल के रूप में बदल गई।
नियमों का पालन करें
झील के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए यहां नियमों का एक बोर्ड लगा है। जिसे पढ़कर आप उन नियमों का पालन जरूर करें। बोर्ड पर लिखा है कि झील में नहाना एवं कपड़े धोना मना है। झील में कचरा डालना मना है। झील में पक्षियों को परेशान न करें। ये सब बाते आपको मानना चहिए। यह झील सुरक्षित है, लेकिन, झील के बीच में जो रास्ता है, उस रास्ते में दूर तक अकेले न जाएं और रात के समय तो बिल्कुल न जाएं, दरअसल आपके लिए यह खतरनाक हो सकता है। अगर आप इंदौर जा रहे हैं तो, इस झील पर कुछ समय जरूर गुजारें।
प्रवासी भारतीय सम्मेलन के अतिथि पहुंचेंगे यहां
जनवरी में इंदौर में होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन और इन्वेस्टर्स समिट के लिए आने वाले अतिथि यहां भी पहुंचेंगे। यहां उन्हें दिखाय जाएगा कि अतीत की धरोहर को वर्तमान में कैसे सहेजा जा रहा है। संवारा जा रहा है। यही नहीं वह यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों की खूबसूरत दुनिया के नजारों का लुत्फ भी यहां ले सकेंगे।
सीजन में 25 हजार से ज्यादा मेहमान पक्षी आते हैं यहां
सिरपुर तलाब को बेहतर बनाने के लिए एक ओर जहां पर्यावरण प्रेमी प्रयासरत हैं, वहीं निगम द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसे बेहतर बनाने के लिए करीब 40 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है। यहां बने इंटरप्रिटेशन सेंटर को संवारने में भी करीब पांच करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। निगम द्वारा यहां करीब एक करोड़ रुपए की लागत से तालाब में फव्वारे लगाए गए हैं ताकि, तालाब के पानी में ऑक्सीजन की कमी न हो और जलीय जीव को क्षति न पहुंच सके। दूसरी ओर यहां की खूबसूरती को निखारने के लिए बटरफ्लाय गार्डन भी तैयार किया जा रहा है।
साइबेरिया, मंगोलिया, इजिप्ट से आते हैं प्रवासी पक्षी
करीब 600 एकड़ में फैला सिरपुर तालाब केवल विशाल जलराशि की खूबसूरती के कारण ही नहीं, बल्कि दो सौ एकड़ में फैली वनस्पति के कारण भी यह खासा लोकप्रिय है। यहां वर्षभर में 190 से अधिक प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते हैं। यूं तो यह प्रवासी पक्षी वर्षभर आते हैं, लेकिन नवंबर से फरवरी तक यहां करीब 25 हजार से ज्यादा प्रवासी पक्षी आतेे हैं। ये प्रवासी पक्षी प्रदेश और देश के विभिन्न भागों से तो आते ही हैं, पर उससे भी कहीं ज्यादा संख्या में यह मेहमान परिंदे नार्थ एशिया, साइबेरिया, मंगोलिया, हिमालय, नेपाल, अरब सागर और इजिप्ट से भी आते हैं।
जैव विविधता के लिए भी है महत्वपूर्ण
इनमें से कई परीदें ऐसे हैं, जो यहां आकर अपना जीवनचक्र भी चलाते हैं। यह स्थान केवल पर्यावरण प्रेमियों और पर्यटकों के लिए ही आकर्षण का केंद्र नहीं बल्कि पर्यावरण, वनस्पति, पक्षियों और जलीय जीवों के साथ-साथ जैव विविधता के विषय में रुचि रखने वालों के लिए भी महत्वपूर्ण स्थल है। यही कारण है कि यहां हर रविवार सैलानियों व जिज्ञासुओं का मेला लगता है। फिर चाहे वह स्कूली विद्यार्थी हों या पर्यावरणविद।
बेहतर होगा सिरपुर का स्वरूप
निगम के मुताबिक शहर में छोटा सिरपुर तालाब के पानी में ऑक्सीजन का लेवल बेहतर बनाए रखने के लिए यहां फव्वारे लगाए गए हैं। इसके अलावा यहां आसपास की कॉलोनियों से बहकर आने वाले सीवरेज को उपचारित करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाया जा रहा है। यह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य करीब 40 करोड़ रुपए में पूरा होगा और इसका कार्य शुरू भी हो चुका है। यह कार्य करीब 2024 में पूरा होने की संभावना है। यहां इंटरप्रिटेशन सेंटर का कार्य भी पूरा होना है। करीब डेढ़ करोड़ रुपए में बने इस इंटरप्रिटेशन सेंटर के भवन को तकनीक और संकल्पना के अनुरूप बनाने में करीब पांच करोड़ रुपए और भी खर्च किए जाने हैं।
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