प्रशासन: हर साल कलेक्टर व एडीएम की अध्यक्षता में स्कूल संचालकों की बैठक होती है। कार्रवाई करना अफसरों का जिम्मा है, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
शिक्षा विभाग: डीईओ व अन्य को परिवहन नियमों का पालन कराना है। स्कूलों में चेङ्क्षकग करने के लिए अधिकारी कभी नहीं पहुंचते हैं।
पुलिस: पुलिस का रवैया स्कूली वाहनों के मामले में नरम रहता है। स्कूल वैन, मैजिक व बसें नियम तोड़ते देखी जा सकती हैं।
परिवहन विभाग: स्कूल बसों के फिटनेस-परमिट आदि की प्रक्रिया विभाग से ही होती है। सुरक्षा इंतजाम विभाग को सुनिश्चित करना है। विभाग उदासीन है।
स्कूल: जिम्मेदारी संचालकों की है। बसों की कंडिशन बेहतर, ड्राइवर-कंडक्टर का व्यवहार, बच्चों-पालकों से फीडबैक जरूरी।
प्रदीप कुमार शर्मा, आरटीओ