इंदौर जिले में आरटीई के तहत वैसे तो 15160 आवेदन आए थे। सत्यापन के बाद 11049 आवेदन सही पाए गए। जिनमें पहली ऑनलाइन लॉटरी के दौरान 6872 आवेदनों पर सीटें अलाट हुईं। इस दौरान कुछ पालकों ने पसंद का स्कूल नहीं मिलने से प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं की और फिर दूसरे दौर की लॉटरी में शामिल हुए। दूसरे दौर की लॉटरी में सात हजार से अधिक आवेदन शामिल किए गए, जिनमें केवल 1879 सीटें आवंटित हुईं। इन आवेदकों को 3 से लेकर 6 अगस्त के बीच में प्रवेश लेना था। जिन आवेदकों ने इस अवधि में प्रवेश नहीं लिया होगा, उन्हें अब मौका नहीं मिलेगा। डीपीसी अक्षय ङ्क्षसह राठौर ने बताया कि कल प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सोमवार तक हमारे पास डाटा आ जाएगा कि जिले में कितने बच्चों ने आरटीई के तहत प्रवेश लिया है।
मान्यता पर सुनवाई, 50 -50 आवेदनों की फाइल पहुंच रही
दूसरी ओर कक्षा एक से आठवीं तक की मान्यता नवीनीकरण के मामले में जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास ने मान्यता निरस्त कर दी थी। इसके बाद कलेक्टर को इस आदेश के खिलाफ पहली अपील के रूप में सुनवाई करना थी, लेकिन दूरी के चलते प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शिक्षा मंत्री से लेकर आयुक्त तक से मुलाकात कर अपनी परेशानी सामने रखी। इसके बाद संचालक धनराज एस ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि वे सुनवाई शुरू करें। इंदौर में कलेक्टर मनीष ङ्क्षसह ने अपर कलेक्टर राजेश राठौर को अधिकृत किया। अपर कलेक्टर राठौर ने सुनवाई शुरू भी कर दी। जिला शिक्षा अधिकारी ने निजी स्कूलों की फाइलों में दस्तावेजों की कमी पूर्ति कर फाइलें पेश करना शुरू कर दिया है। 50 -50 स्कूलों की सुनवाई शुरू हो चुकी है।