दरअसल, इंदौर के देपालपुर के अंतर्गत आने वाले परदेशीपुरा में एक ऐसा परिवार है, जो पिछले 40 वर्षों से लंकाधिपति रावण की पूजा करता चला आ रहा है। इसी के चलते करीब 12 साल पहले वर्ष 2010 में उन्होंने विशालकाय रावण की प्रतिमा बनवाकर लंकाधिपति रावण के मंदिर की स्थापना भी की थी। दशहरे के मौके पर पूरा परिवार एकत्रित होकर दशानन रावण की पूजा पाठ करता है। यही नहीं, इस दौरान वैदिक विधि-विधान से मंत्रोच्चार के साथ हवन पूजन भी किया जाता है।
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रावण से आस्था के चलते पोते का नाम रखा लंकेश
परदेसीपुरा में रहने वाले महेश गोहर और उनका परिवार इस दिन के लिए विशेष तैयारियां भी करते हैं। वही बच्चों से लेकर घर के बुजुर्ग भी रावण की पूजन प्रक्रिया में शामिल होते हैं। रावण की पूजा करने वाले महेश गोहर की लंकाधिपति पर आत्था का उदाहरण इसी से लगाया जा सकता है कि, उन्होंने अपने पोते का नाम भी लंकेश रखा है। उनका मानना है कि, वो रावण की पूजा इसलिए भी करते हैं क्योंकि, उनके हिसाब से रावण ही सर्वोच्च।
रावण के मंदिर में कभी खाली नहीं जाती मांगी गई मन्नत
बताया जाता है कि, यहां सिर्फ महेश गोहर का परिवार ही नहीं, बल्कि अन्य कई लोग भी लंकेश का पूजन करने पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि, यहां मांगी जाने वाली मन्नत खाली नहीं जाती, इसलिए भी लोगों की आस्था लंकेश के प्रति बढ़ती जा रही है। मन्नत पूरी होने पर लोग यहां आकर पूजन पाठ कराकर दान पुण्य भी करते हैं।