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इंदौर

मालवा-निमाड़ में तराश रहे सियासी जमीन

2013 में भाजपा तो 2018 में कांग्रेस के लिए उपजाऊ जमीन हुई साबित

इंदौरMar 09, 2022 / 12:36 am

अभिषेक श्रीवास्तव

Jp Nadda
इंदौर. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में भले ही पौने दो साल हों, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। ग्राउंड वर्क के लिए दोनों दल मालवा-निमाड़ की भूमि को उपजाऊ मान रहे हैं। कारण साफ है, जिस भी दल की फसल यहां लहलहाई, उसने प्रदेश में सत्ता की चाबी हथियाई है। बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले इस इलाके में कांग्रेस ने 2018 में अच्छा प्रदर्शन किया, नतीजा भाजपा को प्रदेश के अन्य हिस्सों में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। हालांकि बाद में बदली हुई परिस्थितियों में जरूर कांग्रेस की सरकार अपदस्थ हो गई और एक बार फिर भाजपा के हाथ प्रदेश की कमान लग गई। ऐसे में 2018 के परिणाम को ध्यान में रखकर भाजपा ने पहले से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है, ताकि भविष्य में किसी असहज स्थिति का सामना न करना पड़ा।
दरअसल, इस क्षेत्र के दो संभागों में 66 सीटें आती हैं। प्रदेश की सियासत में इसका बड़ा महत्व है। ऐसे में इंदौर को केंद्र बनाते हुए अभी से तैयारी शुरू हो गई है। 2020 में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही चेहरे बदले हुए हैं। जो कभी विरोध में खड़े होते थे, वे अब सत्तासीन दल के पोस्टरों पर छाए हुए हैं। कुछ पुराने चेहरे इस परिदृश्य से गायब से हो गए हैं। ऐसे में माना यह जा रहा है कि बदली हुई परिस्थितियों में दोनों दलों को काफी मशक्कत करनी होगी।
नड्डा भी दे गए संदेश
दरअसल, मालवा-निमाड़ में खोई जमीन को तराशने के लिए बीजेपी लगातार प्रयास कर रही है। उसके बड़े नेताओं का आने का क्रम जारी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपनी परियोजनाओं के माध्यम से इस क्षेत्र को साध रहे हैं तो बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अभी से चुनाव की तैयारियों में जुटने का निर्देश भी जारी कर दिया है।
मुख्यमंत्री भी सक्रिय
इस क्षेत्र को लेकर भाजपा क्या सोचती है, इसका अंदाजा मुख्यमंत्री के लगातार हो रहे दौरों से पता चलता है। सीएम कई योजनाओं की घोषणा कर चुके हैं। इंदौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के सात फ्लाईओवर के जवाब में उन्होंने 11 फ्लाईओवर बनाने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं।

कांग्रेस भी बना रही रणनीति, कमलनाथ खुद लेंगे फीडबैक
दरअसल, कांग्रेस भी सदस्यता अभियान के माध्यम से ग्राउंड वर्क कर रही है। उसके सामने आने वाले विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती 2018 के परिणाम की पुनरावृत्ति करना है। कांग्रेस से जुड़े नेताओं का कहना है कि कमलनाथ खुद इस इलाके में आने वाले दिनों में दौरा करेंगे। साथ ही उन संभावित चेहरों की तलाश करेंगे जो लंबी रेस के घोड़े साबित हों। दिग्विजय सिंह भी यहां खासी सक्रियता दिखा रहे हैं। मालवा-निमाड़ में उनका दौरा भी जल्द प्रस्तावित है।
परिणामों का इंतजार
दरअसल, पांच राज्यों के चुनाव परिणाम 10 मार्च को आएंगे। इसके बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में भी दोनों दल उस अनुरूप अपना ग्राउंड वर्क करेंगे। मुद्दे तय होने से लेकर किसान और रोजगार को प्लानिंग होगी। किस विषय पर कितना फोकस करना है यह भी तय होगा।

आंकड़ों की जुबानी दलों की स्थिति

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