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इंदौर

गलत तरीके से मिल रही पतंजलि को जमीन

40 एकड़ जमीन आवंटन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली जनहित याचिका में अंडरटेकिंग देने से बच रही पतंजलि

इंदौरFeb 23, 2018 / 08:42 pm

amit mandloi

patanjali company
-जवाब के लिए लगातार दूसरी बार मांगा समय
-पीथमपुर में जमीन आवंटन प्रक्रिया गलत हुई तो तोडऩा होगा निर्माण

इंदौर. प्रदेश सरकार द्वारा योग गुरु रामदेव बाबा की पतंजलि कंपनी को पीथमपुर में रियायती दरों पर करीब ४० एकड़ जमीन आवंटन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर शुक्रवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कंपनी को आदेश दिए थे, शपथ-पत्र पर लिखित अंडरटेकिंग दें कि यदि भविष्य में याचिका में कंपनी के खिलाफ फैसला आता है तो वह खुद निर्माण तोड़ देंगे। शुक्रवार को अंडरटेकिंग देना थी, लेकिन कंपनी के वकील ने लगातार दूसरी बार समय मांग लिया। पूर्व में दिए गए नोटिस पर जवाब के लिए भी समय मांगा है। कोर्ट ने २१ मार्च को अगली सुनवाई के आदेश दिए हैं।
इसी बीच याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में आवेदन देकर मांग की गई है, जब तक याचिका पर फैसला न होने तक पतंजलि पीथमपुर प्रोजेक्ट में कोई निर्माण न करे। कोर्ट ने इस पर भी कंपनी से जवाब मांगा है। सामाजिक कार्यकर्ता तपन भट्टाचार्य द्वारा सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर के माध्यम से दायर याचिका में सरकार द्वारा पतंजलि कंपनी को नियमों को ताक पर रखकर पीथमपुर में ४० एकड़ जमीन देने का मुद्दा उठाया गया है। माथुर का कहना है, जमीन देने के लिए टेंडर नहीं निकाले गए। २५ लाख रुपए एकड़ के हिसाब से जमीन देने के साथ ही राज्य सरकार ने पतंजलि में बनने वाले प्रोडक्ट की बिक्री को-ऑपरेटिव सोसायटी और कंट्रोल की दुकानों से भी करने का ऐलान किया है, जो गलत है। प्रदेश में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाने वाली अन्य कंपनियों को पीथमपुर की जमीन देने के लिए टेंडर निकालकर क्यों नहीं शामिल किया गया। इस मामले में ट्रायफेक (एमपी ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट फेसिलिएशन कॉरपोरेशन) जवाब पेश कर चुकी है। उनका कहना है, सरकार को किसी भी औद्योगिक इकाई को कितनी भी जमीन देने का अधिकार है। उसी के तहत पतंजलि को पीथमपुर में जमीन दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट के नियमों की अनदेखी
याचिका में बताया गया है, ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत किसी भी प्रदेश सरकार को नियमों को ताक पर रखकर जमीन आवंटन का अधिकार नहीं है। जमीन देने से पहले टेंडर निकालना, विज्ञापन देना और जो अधिकतम मूल्य की बोली लगाने वाले को जमीन देना होता है। मप्र सरकार ने पतंजलि को सिर्फ ऑनलाइन आवेदन के आधार पर सस्ती दरों पर जमीन अलॉट की जो गलत है।

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