आपको बता दें कि, तोलानी ने सबसे पहले वर्ष 1989 में चुनाव लड़ा था। तब से लेकर अबतक वो लगातार 18वीं बार निर्दलीय तौर पर चुनावी मैदान में आ चुके हैं। हालांकि, हर बार उनकी जमानत जब्त हो जाती है। हालांकि, लोकतंत्र में अपना स्थान बनाने का उनका जज्बा इसके बाद भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बता दें कि, तोलानी अबतक उनके सामने आए हर चुनाव, फिर भले वो लोकसभा हो, विधानसभा हो या निकाय चुनाव हो, हर बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप से नामांकन दाखिल करते हैं। इस बार उन्होंने 18वीं बार में महापौर पद के लिए नामांकन दाखिल किया है।
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पिता की परंपरा को आगे बढ़ा रहे तोलानी
तोलानी के अनुसार, चुनाव लड़ने का जुनून इसलिए भी उन्हें ज्यादा है, क्योंकि हर चुनाव में उतरने की ये परंपरा उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता भी 1968 से चुनाव लड़ना शुरू किया था, और जीवित रहने तक हर चुनावी मैदान में खड़े हुए थे। हालांकि, ये भी इत्तेफाक है कि, उन्हें भी कभी किसी भी चुनाव में जीत हासिल नीं हुई। पिता की मौत के बाद अब उनके बेटे परमानंद तोलानी उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, हर बार चुनावी मैदान में उतरकर लोकतंत्र के जरिए चुनावी लड़ाई लड़ रहे हैं।
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इस बार सबसे पहले किया है नामांकन
प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव के लिए शनिवार से महापौर और पार्षद पद के लिए नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू हुई। कांग्रेस ने इंदौर से संजय शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है। वहीं भाजपा ने अभी महापौर पद के लिए प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। प्रॉपर्टी ब्रोकर परमानंद तोलानी इस बार फिर महापौर पद के लिए निर्दलीय के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। आपको बता दें कि, इस बार सबसे पहला नामांकन उन्हीं ने दाखिल किया है।
पंडित ने बताया जीत का शुभ मुहूर्त
तोलानी शनिवार सुबह 10.45 बजे अपने समर्थकों के साथ कलेक्टोरेट पहुंचे। उन्होंने एडीएम राजेश राठौर के समक्ष नामांकन दाखिल किया। तोलानी ने बताया कि उत्तराखंड के प्रसिद्ध ज्योतिषी परखराम ने उन्हें बताया है कि 11 जून को 11 बजे के पहले नामांकन भरेंगे तो जीत अवश्य होगी। इसलिए उन्होंने समय पर फॉर्म भरा। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बाद मेरी प्राथमिकता कचरा टैक्स, संपत्ति टैक्स सहित सभी प्रकार के टैक्स से लोगों को राहत दिलाना होगी। महापौर बना तो 1 हजार वर्ग फीट के मकान पर कोई टैक्स का प्रावधान नहीं होगा।
धरती पकड़ नाम से हैं लोकप्रीय
धरती पकड़ (शाब्दिक अर्थ: पृथ्वी को मुट्ठी में करना) भारतीय राजनीति के अद्भुत किरदारों के उपनाम है। ये भारत के तीन व्यक्तियों के उपनाम है, जो शीर्ष राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कई चुनावों में असफल रहे। चुनावी राजनीति पर आधारित एक व्यंग्य टीवी शो में काका जोगिंदर सिंह को धरती पकड़ उपनाम से संबोधित किया जाता था। जबकि, दो और व्यक्तियों को धरती पकड़ उपनाम से जाना जाता है। इनमें से एक हैं भोपाल के कपड़ा व्यापारी मोहन लाल, जिन्होने पांच विभिन्न प्रधानमंत्रियों के खिलाफ चुनाव लड़ने और इन सभी चुनावों में जमानत जब्त कराने का रिकॉर्ड बनाया। कानपुर के नगरमल बाजोरिया भी अपने उपनाम धरती पकड़ के नाम से विख्यात हैं। उन्होने 278 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने और चुनाव प्रचार के लिए गधे का इस्तेमाल कर रिकॉर्ड बनाया था।
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