पारदेश्वर महादेव की स्थापना ब्रह्मालीन महंत श्याम बापू ने की थी। पारदेश्वर महादेव मंदिर के लिए भूमि 1975 में लेने के बाद निर्माण कार्य 1992 में पूर्ण हुआ। पारदेश्वर महादेव मंदिर परिसर में मां काली का मंदिर भी है। खजराना स्थित गणेश मंदिर के थोड़ा आगे जाते ही यह मंदिर आता है। साथ ही द्वार पर नाग देवता और तेजाजी महाराज हैं। भैरव बाबा के दर्शन भी होते हैं। यहां श्रावण मास में प्रतिदिन भगवान का रूद्राभिषेक किया जा रहा है।
पं. गुलशन अग्रवाल ने बताया, पारे को शिव का बीज और गंधक को पार्वती का रज माना जाता है। इससे शिवलिंग बनाकर पूजा करने से 12 ज्योर्तिलिंगों के दर्शन का पुण्य मिलता है। पारा को जमाना संभव नहीं है, लेकिन जड़ी-बूटियों के साथ मंत्र के प्रभाव से पारदेश्वर शिवलिंग का स्वरूप दिया गया है। मनोकामना पूर्ति के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पूजा-अर्चना करते हैं।