अख्तर 52 साल के हैं. सन 1970 में जन्मे अख्तर सन 1984 से लेखन और कॉमेडी कर रहे हैं। वे बताते हैं कि अब तक उन्होंने करीब तीन हजार कवि सम्मेलनों या मुशायरों में शिरकत की लेकिन उन्हें असल पहचान अब मिल रही है। वे इंदौर में फेरी लगाकर 10 से 60 रुपए कीमत का सामान बेचते हैं. अख्तर शहर के राजबाड़ा इलाके में फेरी लगाकर इमिटेशन जूलरी बेचते हैं। वे बताते हैं- ‘ इसी की कमाई से उनका पांच लोगों का परिवार चलता है। बाप-दादा की ऐसी बरकत है कि पांच लोग भरपेट खाते हैं। बिजली बिल 200 रुपए का आता है और सरकार ने राशन कार्ड दे ही रखा है। कभी खाने-कमाने की परवाह तो रही ही नहीं। पहले मेरे पिता और इससे पहले दादा भी यहीं फेरी लगाते थे।’
अख्तर हिंदुस्तानी अभी मुंबई में हैं इसलिए यहां उनका बेटा ज़ैद हिंदुस्तानी फेरी लगा रहा है। जैद कहते हैं कि पापा फेरी लगाते हैं तब ही घर में खाना बनता है। उनकी मेहनत से ही हमारा घर चलता है। वे चाहे कितनी ही उलझन में रहें पर कभी जोक सुनाकर तो कभी अपनी कविताओं से हमें हंसाते रहते हैं। ऐसी कई ईद निकलीं जब हमने तो नए कपड़े पहने पर पापा ने पुराने कपड़ों में ईद मनाई।