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इंदौर

छलका दर्द : कश्मीर में मेरे खेत से निकले हैं 12 ट्रक सेब, कोई और कमा रहा है पैसा, वापस दिलवा दो जमीन-मकान

कश्मीरी पंडित ने सांसद शंकर लालवानी को सुनाई अपनी दुखभरी दास्तां

इंदौरAug 21, 2019 / 11:50 am

Mohit Panchal

सांसद से बोले कश्मीरी पंडित - क्या हमें अपने खेत व मकान वापस मिलेंगे?

सांसद से बोले कश्मीरी पंडित – क्या हमें अपने खेत व मकान वापस मिलेंगे?

इंदौर. कश्मीर में आज भी हमारे सेब के खेत हैं। दो दिन पहले ही पीढिय़ों से काम कर रहे कर्मचारी का फोन आया था। बता रहा था कि आपके खेत से 12 ट्रक माल निकला है। देखो, हमारी फसल से पैसा कोई ओर कमा रहा है और हम यहां ठोकरंे खा रहे हैं। ये देखो दस्तावेज, जमीन आज भी हमारे नाम पर ही है। क्या अब हमें अपनी जमीन और मकान वापस मिलेंगे?
ये बात कल एक कश्मीरी पंडित ने सांसद शंकर लालवानी से कही। कल संगठन पर्व के चलते लालवानी ने विभिन्न समाजों की बैठकें लीं। बर्फानी धाम के पास कश्मीरी पंडितों की बैठक में करीब 30 परिवार शामिल हुए, जबकि इंदौर में 90 परिवार हैं। चर्चा के दौरान उनका कहना था कि वहां का दर्द हमसे ज्यादा कौन जान सकता है।
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हम वापस नहीं आते तो शायद जिंदा नहीं बचते

इतनी दहशत फैला दी गई थी कि हम वहां से नहीं आते तो शायद परिवार जीवित न होता। घर, कारोबार, खेत छोड़कर छोटे-छोटे बच्चों व बुजुर्गों को लेकर रात को छिपते-छिपाते वहां से निकले। दर-दर की ठोकरें खाई। वहां पैसे वाले थे, लेकिन रातोरात फकीर हो गए। नौकरी थी न व्यापार, जैसे-तैसे परिवार का पेट पाला… वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। आज भी जब कश्मीर की बात आती है, तो हमारी आंखों के सामने सारा मंजर होता है। बैठक में कई महिलाओं के आंसू बहने लगे। कहना था कि मोदी सरकार से हमें उम्मीद है। 370 के हटने के बाद क्या हमें अपना घर व खेत मिल जाएगा। एक परिवार ने तो दस्तावेज भी दिखाए। कहना था कि आज भी जमीन हमारे नाम पर ही दर्ज है।
सारी बातें गृह मंत्रालय तक भेजेंगे

इस पर लालवानी ने आश्वासन दिया कि क्या हो सकता है, वे सरकार से जानकारी लेंगे। उनकी सारी बातें गृह मंत्रालय तक भेजेंगें। लालवानी ने बताया कि मोदी सरकार की योजना है कि सभी कश्मीरी विस्थापितों को फिर से बसाया जाएगा। ये घोषणा तो पिछली सरकार में ही हो गई थी, जिस पर अब अमल होगा।
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साल में एक आयोजन रखें

लालवानी ने लोगों से आग्रह किया कि पारंपरिक वेशभूषा, भाषा, खानपान और संस्कृति को बचाए रखने के लिए साल में एक कार्यक्रम उन्हें जरूर करना चाहिए। उसमें पूरे 90 परिवार शामिल होना चाहिए। साथ में अन्य समाज को भी उसमें बुलाना चाहिए। हाथोहाथ उन्हें 29 अगस्त को लोकमाता अहिल्या की पालकी यात्रा में शामिल होने का न्योता भी दे दिया।
जब सुनाए कश्मीरी गीत
जब लालवानी ने अपनी परंपरा को बचाने की बात कही तो बैठक के दौरान कश्मीरी महिलाएं भावुक हो गईं। कुछ महिलाओं ने अपना एक गीत सुनाया। पुरुष भी भावुक हो गए।

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