रोबोट कैसे बनाना है, इसके क्या फंक्शन हैं, इसके कम्पोनेंट और तकनीकी इस्तेमाल, रोबोट का सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर जैसी जानकारी से ओतप्रोत डीएवीवी के विद्यार्थी अगले वर्ष से अंतरिक्ष विज्ञान की ओर भी कूच कर सकेंगे।
डीएवीवी में 2006 से मैकेनिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स के 60 विद्यार्थियों को रोबोटिक्स विषय पढ़ाया जा रहा है। चंद्रयान, गगनयान जैसी सफलताओं के बाद विद्यार्थियों के उत्साह को देखकर डीएवीवी अब अंतरिक्ष विज्ञान कोर्स भी शुरू करने जा रहा है। इसमें रोबोटिक्स के साथ ड्रोन को जोड़कर अंतरिक्ष विज्ञान शुरू होगा।
मालूम हो कि इसी शैक्षणिक सत्र से आइआइटी इंदौर ने अंतरिक्ष विज्ञान (स्पेस इंजीनियरिंग) में बीटेक शुरू किया है। अभी इसके लिए 20 सीटें निर्धारित की गई, जो तत्काल भर गई। जीएसआइटीएस में भी काफी समय से अंतरिक्ष विज्ञान पढ़ाया जा रहा है।
डीएवीवी भी अंतरिक्ष विज्ञान कोर्स शुरू करने की तैयारी कर रहा—
इधर, डीएवीवी भी अंतरिक्ष विज्ञान कोर्स शुरू करने की तैयारी कर रहा है। मैकेनिकल ब्रांच के प्रोफेसर डॉ. विजय कर्मा के अनुसार मैकेनिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स के 60 विद्यार्थियों को रोबोटिक्स पढ़ाते हैं, जबकि इन दोनों के साथ कम्प्यूटर साइंस मिलाकर तीन पाठ्यक्रम के 15 विद्यार्थियों की टीम एसएआइ (सोसायटी ऑफ ऑटोमैटिक इंडिया) की ड्रोन टेक्नोलॉजी की प्रतियोगिता में भाग लेती है।
इस टीम ने 2023 की प्रतियोगिता में एरोप्लेन का छोटा मॉडल तैयार किया था, जबकि 2024 की कॉम्पीटिशन में आइटी के विद्यार्थी ड्रोन बनाएंगे। रोबोटिक्स व ड्रोन दोनों टेक्नोलॉजी स्पेस साइंस का पार्ट है। मार्स पर नासा का रोवर है या हमारे चंद्रयान-3 का रोवर है, इनमें रोबोटिक्स, ड्रोन, सेंसर वाली टेक्नोलॉजी यूज हुई है। अगले वर्ष से स्पेस साइंस शुरू करने की योजना है।
इस संबंध में कुलपति प्रो. रेणु जैन ने बताया कि अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित हमारे पास कुछ कोर्स चल रहे हैं, वहीं अगले सत्र से हम इसे भी शुरू करेंगे। इसके शिक्षकों की भर्ती के लिए शासन से अनुमति मांगी है।