केनरा बैंक ने न केवल उन्हें डिफॉल्टर बता दिया बल्कि उनकी कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज से भी डिलिस्ट करवा दिया। अब उद्योगपति सुरेश शर्मा ने जिला कोर्ट में बैंक पर 1,000 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति का दावा ठोंका है। मामले में सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।
सन 2006 में एक विख्यात बिजनेस मैग्जीन ने संपत्ति के मामले में सुरेश शर्मा को देश का 16वां उद्योगपति बताया था। उस समय शर्मा की व्यक्तिगत संपत्ति 606 करोड़ रुपए बताई गई थी। उद्योगपति सुरेश शर्मा का कहना है कि उन्होंने न तो केनरा बैंक से कर्ज लिया और न ही किसी की जमानत दी इसके बावजूद मुझे डिफॉल्टर और गारंटर बताते हुए विज्ञापन प्रकाशित कराए।
बैंक ने सेबी को पत्र लिखकर उद्योगपति सुरेश शर्मा की तीन कंपनियों को बाम्बे स्टाक एक्सचेंज में डिलिस्ट भी करवा दिया।
इसके बाद उद्योगपति हाईकोर्ट चले गए जहां उनके पक्ष में फैसला सुनाया गया। बैंक ने डिफॉल्टर और गारंटर के रूप में उनका नाम हटा दिया।
इसके बाद उद्योगपति सुरेश शर्मा ने जिला कोर्ट में बैंक के खिलाफ क्षतिपूर्ति का दावा ठोंक दिया। उन्होंने बैंक से 1 हजार करोड़ रुपए की डिमांड की है। जिला कोर्ट में प्रस्तुत केस में सुरेश शर्मा ने कहा कि केनरा बैंक ने 14 साल तक देशभर के अखबारों में उनके खिलाफ वसूली का नोटिस छपवाकर उनकी औद्योगिक साख को बट्टा लगाया है। उनकी कंपनियों को एक्सचेंज से डीलिस्ट करवा दिया जिससे उन्हें करोड़ों का नुकसान भी सहना पड़ा।