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सुनवाई में अनुपस्थित होने पर कोर्ट ने पूछा सवाल
कोर्ट की सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव (गृह) डॉ. राजेश राजौरा और प्रमुख सचिव (वित्त) मनोज गोविल ने कोर्ट को बताया कि, हाई पॉवर कमेटी से अनुमति मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा। कोर्ट ने इसपर चार हफ्तों का समय दिया है। हालांकि, पिछली सुनवाई पर इन दोनों सचिवों की अनुपस्थिति पर कोर्ट ने कहा था कि, ‘जब प्रदेश के मुख्यमंत्री भयावय संक्रमण से दो-चार होते हुए अस्पताल से काम कर सकते हैं, तो फिर दूसरों को क्या दिक्कत है।’
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कोर्ट ने सीएम के इस कार्य को बनाया आधार
ये बात तो अब सभी जानते हैं कि, मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार भयावय रूप लेती जा रही है। इसी की चपेट में पिछले दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी आ गए थे, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। हालांकि, ये बात भी सभी को पता है कि, सीएम ने कोविड सेंटर में भर्ती रहने के दौरान भी अपने कई जरूरी कामों को रुकने नहीं दिया था। उन्होंने अस्पताल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कई कैबिनेट बैठकें लीं, जिसमें कई महत्वपूरण फैसले भी लिये थे। कोर्ट की तरफ से इसी प्रकरण का जिक्र करते हुए सचिवों की अनुपस्थिति पर बात कही थी।
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इस मामले पर हुई थी कोर्ट में सुनवाई
बता दें कि, साल 2002 में सरकार ने सांवेर रोड स्थित 50 एकड़ जमीन नई जेल निर्माण के लिए जेल विभाग को आवंटित की थी। जेल विभाग ने नई जेल के निर्माण के लिए मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड से अनुबंध किया था। हालांकि, निर्माण पर करीब 18 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद इसका काम रोक दिया गया, तब से लेकर अब तक ये काम अधूरा पड़ा हुआ है। इतने समय में निर्माणाधीन कार्य भी खस्ता हाल हो चुका है। इस पूरे मामले में अधूरे काम पूरे करने का आदेश देने की मांग करते हुए वकील अभिजीत यादव ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसपर सुनवाई जारी है।
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