शिवराज का आरोप- कांग्रेस का जासूसी का इतिहास, यूपीए सरकार में हर माह टेप किए जाते थे 9000 फोन कॉल्स पिछले सुनवाई में शासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट का 2018 में दिया गया एक आदेश पेश किया गया था, लेकिन उसमें अलग बिंदु होने पर कोर्ट ने एक्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। याचिका में केंद्र सरकार के विधि विभाग सहित अन्य जिम्मेदार महकमों को पक्षकार बनाया गया है। मांग है जब देश में चपरासी से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक को सिर्फ एक पेंशन मिलती है तो फिर सांसद, विधायक और मंत्रियों को एक से अधिक पेंशन देने का नियम क्यों है।
लोकायुक्त के घेरे में रिश्वतखोर इंजीनियर, 3 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा यदि एक व्यक्ति विधायक के बाद सांसद भी बन जाए तो उसे विधायक और लोकसभा सांसद का वेतन और भत्ता भी मिलता है। इसी तरह राज्यसभा सांसद चुने जाने और केंद्रीय मंत्री बन जाने पर मंत्री का वेतन-भत्ता और विधायक-सांसद की पेंशन भी मिलती है, जबकि सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को एक ही पेंशन मिलती है। नेताओं को एक दिन का विधायक या सांसद बनने पर भी पेंशन की पात्रता होती है। इस मामले में शासकीय सेवकों की तरह गाइडलाइन बनाने की बात कही गई है।
बारिश का अनूठा टोटका, कुछ ही घंटों में ही बरस पड़े बादल एडवोकेट पूर्वा जैन के माध्यम से दायर याचिका में मांग की गई है कि संविधान के मुताबिक समानता के अधिकार के कानून का पालन हो। जनप्रतिनिधियों की पेंशन के लिए भी शासकीय सेवकों की तरह गाइडलाइन बनाई जाए। कम से कम पांच साल का कार्यकाल अनिवार्य किया जाए। साथ ही वे अंत में जिस पद पर रहें, उसी की पेंशन उन्हें मिले। मंत्री या निगम-मंडल में अन्य सरकारी पदों पर रहते हुए वेतन के साथ पुराने पदों की पेंशन नहीं दी जाए।
TCS Infosys को कड़ा नोटिस, जमीन ली पर पूरा नहीं किया वादा गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार ने मार्च 2005 के बाद नियुक्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों की पेंशन ही बंद कर दी है। इस संदर्भ में मांग की है कि वेतन-पेंशन निर्धारण के लिए सरकार कमेटी या बोर्ड बनाए, जिसके पास देश के हर विधायक और सांसद का पूरा रिकॉर्ड हो ताकि वह देश में कहीं पर भी वेतन या एक से अधिक पेंशन लाभ नहीं ले सके। कम से कम पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले नेता को ही पेंशन की पात्रता होना चाहिए।