क्या है पूरा मामला
इंदौर ग्रामीण बेटमा निवासी शिवनारायण बाथम पिछले 6 सालों से लिवर की बीमारी से जूझ रहे हैं। डॉक्टरों द्वारा उन्हें दो महीने पहले लिवर ट्रांसप्लांट कराने के लिए कहा था। डॉक्टरों द्वारा उन्हें कहा गया था कि लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई दूसरा उपचार संभव नहीं है। इसके बाद बड़ी बेटी प्रीति अपने पिता को लिवर देने के लिए तैयार हो गई, लेकिन परिजनों के सामने समस्या यह थी कि वह 17 साल 10 महीने की थी। कानूनी रुप से वह लिवर डोनेट नहीं कर सकती थी। कोर्ट की परमिशन के बिना डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट के लिए मना कर दिया था।
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परिवार ने कोर्ट में लगाई याचिका
एडवोकेट नीलेश मनोरे ने इंदौर स्थित हाईकोर्ट में 13 जून को याचिका दायर की थी। जिसके बाद कोर्ट ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्य आयुक्त को आदेश दिया था कि वह नाबालिग की जांच करके रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। साथ ही यह भी बताएं कि लिवर का कुछ हिस्सा डोनेट करने के लिए फिट है कि नहीं। फिर गुरुवार को जब सुनवाई हुई तो उसमें एमजीएम मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्य आयुक्त ने कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी तो उसमें बताया गया कि नाबालिग बेटी का लिवर पूरा तरह फिट है। इसके बाद कोर्ट ने लिवर डोनेट करने की परमिशन दे दी।