दरअसल, इस ट्रेन का संचालन रतलाम मंडल ने बड़ी ही मुश्किल से शुरू किया। पहले ही देरी से यानी 26 अगस्त से ट्रेन का संचालन शुरू किया गया, जबकि इसका संचालन पूर्व में जुलाई से ही होता रहा है। वहीं दूसरी ओर महू से पातालपानी, कालाकुंड तक का सफर पर्यटक करते रहे हंै, लेकिन इस बार मंडल ने ट्रेन का संचालन महू के बजाय पातालपानी से कालाकुंड तक किया गया। पर्यटकों को अपने वाहन से ही पातालपानी तक पहुंचाना होता है। इसके बाद पातालपानी स्टेशन से कालाकुंड तक पर्यटक ट्रेन से सफर कर पाते हैं। चूंकि अब बारिश का दौर थम चुका है और यहां पर प्राकृतिक सौंदर्य में भी कमी आ चुकी है। पातालपानी का मनमोहक झरना भी बंद सा हो गया है। इसी के चलते पर्यटकों का रुझान कम हो गया है। यही कारण है कि रविवार को भी ट्रेन में आधे से कम यात्री पहुंचे।
पांच साल में रेस्टोरेंट तक नहीं हुआ शुरू -मालूम हो कि मंडल ने 25 दिसंबर 2018 में पहली बार हेरिट्रेज ट्रेन का संचालन शुरू किया था। पातालपानी से कालाकुंड तक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अनेक कार्य किए गए थे। कालाकुंड रेलवे स्टेशन पर गार्डन, सर्किट हाउस सहित अन्य सुविधाएं पर्यटकों के लिए जुटाई गई थीं। साथ ही कालाकुंड में रेल रेस्टोरेंट शुरू करने के लिए मीटरगेज के दो कोच भी खड़े किए गए थे। इसमें रात्रि विश्राम की सुविधा भी दी गई थी ताकि पर्यटक कालाकुंड आकर रात में जंगलों के बीच रूक सकते थे, लेकिन पांच साल बाद भी रेस्टोरेंट शुरू नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं इस सीजन में केंटीन भी बंद कर दिया गया। रोमांचभरा सफर सुविधाओं में कमी करने से परेशानी भरा हो गया है।
कोच लॉक, हो रहा संचालन रेल अधिकारियों की मानें तो पिछले पिछले कुछ दिनों से लगातार पर्यटकों की संख्या कम होती जा रही है। जिससे यात्री 60 फीसदी तक यात्री कम हो गए हंै। शनिवार को भी ट्रेन तकरीबन खाली ही रवाना हुई थी। वहीं कल भी विस्टाडोम कोच की 12 सीटें खाली रहीं। इस प्रकार डी-4 कोच लॉक कर रवाना किया गया। डी-1, डी-2 और डी-3 में नाममात्र के यात्री मौजूद रहे।