गीता की तरफ से महाराष्ट्र सरकार से नौकरी व प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास की मांग की है। परभणी की पहल फाउंडेशन में रहकर पढ़ाई के साथ गतिविधियों में शामिल होना ही गीता की जीवनचर्या बन गया है। गीता पर कई परिवारों ने दावा किया था।
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साढ़े छह साल पहले तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर गीता पाकिस्तान से इंदौर आई थी। 26 अक्टूबर 2015 को पाकिस्तान से आने के बाद से गीता गुमाश्ता नगर की मूकबधिर संस्था में रहीं। सरकार खर्च उठाती रही। इस दौरान संस्था के सभी लोग गीता का बड़ा ख्याल रखते थे और वो भी सभी से इतनी हिल-मिल गई थी कि सभी साथियों को अपना परिवार मानती थी।
सुषमा स्वराज पाकिस्तान से गीता को लाई उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) से भी 7 रेसकोर्स रोड स्थित पीएम आवास पर भी मिलवाने लेकर गई थीं। इस दल में इंदौर स्थित मूक-बधिर संस्था की संचालिका मोनिका पंजाबी थी, उन्होंने पीएम मोदी को साइन लैंग्वेज के जरिए गीता से बात करवाई थी। पीएम ने गीता के माथे पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया था। पीएम ने ट्वीट भी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि गीता तुम्हारा स्वागत है। तुम्हें घर में वापस देखना वाकई अद्भुत है। आज तुम्हारे साथ वक्त बिताना वाकई सुखद रहा। पीएम ने पाकिस्तान की ईदी फाउंडेशन को शुक्रिया भी कहा और गीता की देखभाल के लिए एक करोड़ रुपए भी देने की घोषणा की थी।
पहली बार गीता उस समय सुर्खियों में आई जब वो भारत की सीमा पार करके पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पहुंच गई थी। वो न कुछ सुन सकती थी न कुछ बोल सकती थी। वहां उसे एक रेंजर्स ने पहली बार देखा था। मूक-बधिर होने के कारण रेंजर्स उसे लाहौर की एनजीओ ‘ईदी फाउंडेशन’ ले गए, उसके बाद कराची के शेल्टर होम में रखा गया। कराची में मदर ऑफ पाकिस्तान के नाम से मशहूर बिलकिस ईदी ने इस लड़की का नाम गीता रखा था। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों के बाद 28 अक्टूबर 2015 को गीता भारत आ सकी थी। कराची से भारत आने के बाद गीता इंदौर (indore) की मूक-बधिरों की संस्था में ही रह रही है।