करीब 200 साल पुराने संस्कृत कॉलेज के विशाल परिसर में करीब 150 विद्यार्थी ही पढ़ रहे हैं। अभी यहां बीए शास्त्री, एमए संस्कृत, संस्कृत प्राच्य जैसे कोर्स चल रहे हैं। पहली शिफ्ट में क्लासेस निपटने के बाद दूसरी शिफ्ट में कॉलेज खाली रहता है। छात्रों की संख्या देखते हुए कॉलेज प्रबंधन की अगस्त में हुई जनभागीदारी समिति की बैठक में ऐसे कोर्स शुरू करने पर सहमति बनी थी, जिसमें बेहद कम फीस में स्थानीय विद्यार्थियों को अन्य कोर्स पढऩे का मौका मिले। हाल में कॉलेज ने उच्च शिक्षा विभाग को बीए कम्प्यूटर, बीकॉम कम्प्यूटर, बीएससी कम्प्यूटर और लॉ के कोर्स शुरू करने के लिए पत्र भेजा है। प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि इन कोर्सेस से अब तक जारी कोर्सेस की पढ़ाई बिलकुल प्रभावित नहीं होगी। नए कोर्सेस दूसरी शिफ्ट में ही चलाए जाएंगे। उम्मीद है कि शासन अगले सत्र से ही नए कोर्स की मंजूरी प्रदान करेगा। लॉ के लिए मंजूरी मिलते ही बीसीआई (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) को मान्यता के लिए आवेदन किया जाएगा। प्राचार्य प्रो. सुरेश सिलावट ने बताया, क्षेत्र में सरकारी कॉलेज नहीं होने से क्षेत्रीय विद्यार्थी निजी कॉलेजों में पढऩे को मजबूर हैं।
नैक की ग्रेड से होगी ब्रांडिंग
प्रदेश में 43 संस्कृत कॉलेज हैं, जिनमें 9 सरकारी हैं। शहर के गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज में हाल में हुए नैक के दौरे में आई पीयर टीम ने कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं की तारीफ की थी और पिछले सप्ताह नैक ने कॉलेज को बी ग्रेड से नवाजा। नैक से ग्रेड हासिल करने वाला यह प्रदेश का पहला संस्कृत कॉलेज हो गया। कॉलेज प्रबंधन के प्रयास है कि पहले से चल रहे संस्कृत के कोर्सेस की ब्रांडिंग कर इन कोर्सेस में भी छात्र संख्या बढ़ाई जाए।