यशवंत क्लब के हर दो साल में चुनाव होते हैं। वर्ष 2018 में चेयरमैन परमजीतसिंह छाबड़ा (पम्मी) की टीम के अधिकतर सदस्य जीते थे। बायलॉज के नियमानुसार टोनी सचदेवा चुनाव नहीं लड़ सके थे, जिसका असर पूरी टीम के परिणाम पर भी आया। वैसे तो 2020 में चुनाव होने थे लेकिन कोरोना काल की वजह से दो साल चुनाव नहीं हो सके। अब एक बार फिर चुनाव की हलचल तेज हो गई है। जून के अंतिम रविवार को चुनाव कराए जाने की संभावना बन गई है, जिसकी वजह से पम्मी पैनल और टोनी पैनल एक बार फिर मैदान पकड़ते नजर आ रही हैं।
इस बीच एक पेंच और सामने आ रहा है जिससे पम्मी पैनल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मौजूदा कमेटी ने दो साल से ना साधारण सभा बुलाई और ना ही बैलेंस शीट पेश की है। यहां तक की रजिस्ट्रार को भी ऑडिट पेश नहीं किया। इसके अलावा संस्था के बायलॉज का आर्टिकल नंबर-42 अब पम्मी पैनल के आड़े आ सकता है। उसमें स्पष्ट लिखा है कि कोई भी कमेटी या व्यक्ति अगर दो बार या समय अवधि में लगातार काबिज रहता है तो अगली बार चुनाव नहीं लड़ सकता।
चाहे चुनाव हो या ना हो। इसके आधार पर पम्मी की पैनल खुद ब खुद बाहर हो जाएगी। वे चुनाव लडऩे की पात्र नहीं है। हालांकि पम्मी पैनल भी गलियां निकालने में जुटी हुई है लेकिन क्लब सदस्यों में ये मामला चर्चा का विषय है। इसको लेकर बवाल होने की आशंका है। टोनी पैनल इस मुददे को रजिस्ट्रार तक लेकर जाती है तो बाद में बात कोर्ट तक जा सकती है। इस फेर में असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है।
जमकर बनता है चुनाव में माहौल
यशवंत क्लब के चुनाव हमेशा से शहर में चर्चा का विषय रहे हैं। क्लब में साढ़े चार हजार से अधिक सदस्य हैं। हालांकि एक हजार सदस्य मतदान नहीं कर पाते हैं क्योंकि कई सदस्य देश के अन्य राज्यों तो कुछ विदेश में रहते हैं। चुनाव की घोषणा के साथ ही पार्टियों का दौर शुरू हो जाता है। दोनों पैनल्स करोड़ों रुपए पार्टियों पर फूंक देती हैं। कई बार पार्टियों पर रोक लगाने की मांग भी हुई लेकिन कोई नहीं मानता।
सामने आने लगे नाम
क्लब के चुनाव में अध्यक्ष, सचिव, सह सचिव, कोषाध्यक्ष सहित नौ सदस्य संचालक मंडल में होते हैं। अध्यक्ष पद को लेकर एक बार फिर परमजीतसिंह छाबडा़ और टोनी सचदेवा का नाम सामने आ रहा है। इस बार सचिव पद के लिए टोनी पैनल से भारी भरकम नाम संजय गोरानी का सामने आया है तो पम्मी पैनल सह सचिव सुदीप भंडारी को आगे कर रही है।