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इन सभी जिम्मेदारों से की थी उसने अपील
दरअसल, दुबई में काम करने गए बेटे ने इंदौर में रहने वाले उसके पिता को उचित इलाज न मिलने को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने इस संबंध में लगातार अपने पिता की बिगड़ती हुई हालत और उसपर सही इलाज न दिये जाने की शिकायत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और इंदौर कलेक्टर को ट्वीट के जरिये दी। युवक ने प्रदेश के सभी जिम्मेदारों को इस संबंध में ट्वीट करते हुए कहा कि, उसके पिता बुजुर्ग थे, जो ह्रदय रोग से ग्रस्त थे। लेकिन शहर के करीब पांच निजी अस्पतालों ने उनके पिता को कोरोना की आशंका के चलते, उपचार करने से इंकार कर दिया। इसके बाद उनकी बुजुर्ग मां, पिता को लेकर शहर के एक बड़े अस्पताल पहुंची, जहां पर भी उन्हें मूल उपचार दिये जाने के बजाय कोरोना जांच को ही प्राथमिकता दी गई, साथ ही रिपोर्ट आने तक जनरल दवाइयां देने का निर्णय लिया।
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डर के चलते पड़ोसियों ने भी फेरा मूंह
लॉकडाउन के कारण अपने पिता की मदद के लिए घर न लौट पाने वाला बेटा 25 मार्च से लगातार ट्वीट के जरिये जिम्मेदारों से उनके पिता को उचित उपचार दिलाने की गुहार लगाता रहा। हालांकि, रिपोर्ट सामने आने से पहले ही 28 मार्च को पिता की मौत हो गई। मौत के तुरंत बाद ही कोरोना की रिपोर्ट भी सामने आ गई, जो निगेटिव थी। बेटे का आरोप है कि, उसके पिता की जान कोरोना से नहीं, बल्कि ‘कोरोनावायरस पैरानोया’ यानी कोरोना के शक ने ली है। हालांकि, परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई। परिवार के लोग पिता के शव को उनके मूल निवास देपालपुर ले गए, लेकिन वहां भी पड़ोसियों ने कोरोना के डर से मुंह फेर लिया। बेटे ने ये भी आरोप लगाया कि, इसकी वजह ये है कि अस्पताल की और से जिस समय उनके पिता का ब्लड सेंपल लिया गया, तभी से उनके घर समेत पूरे इलाके को सेनिटाइज किया जाने लगा, इससे लोगों में उनके परिवार के प्रति धारणा बन गई कि, वो कोरोना संक्रमित हैं।
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जिला स्वास्थ अधिकारी ने भी कहा- पीड़ित को नहीं था कोरोना
हालांकि, जिला प्रासन ने बाद में इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि, आशिक अली की मृत्यु कोरोना वायरस के कारण नहीं बल्कि हार्ट अटैक के चलते हुई है। फिर भी उनसे दूरी बनाए रखने की अपील की गई, साथ ही उनके घर को सैनिटाइज भी किया गया, जिसके चलते उनके और उनके परिवार को लेकर लोगों में भय बड़ा। इससे पहले जिला स्वास्थ अधिकारी ये भी कह चुके हैं, कि, कोविड -19 ने निजी अस्पतालों और डॉक्टरों में एक तरह का भय पैदा कर दिया है, जिसके चलते ये चिकित्सक साथारण सर्दी जुकाम या अन्य मिलते जुलते लक्षण वाले रोगियों को देखने से भी इंकार कर रहे हैं।