दीपावली से व्यापारियों का नया वर्ष शुरू होता है। शुभ मुहूर्त में व्यापारी अपने नए बहीखाता की शुरुआत करते हैं। उनके लिए नया वित्तीय वर्ष शुरू होता है। 13 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र के दिन व्यापारी पूरे विधि-विधान के साथ बहीखाता की खरीदारी करेंगे। व्यापारियों ने अभी से बहीखातों की बुकिंग भी कर दी है।
इस आधुनिकता के युग में भले ही कम्यूटर ने भारत में पारंपरिक बहीखातों के व्यापार को सतह से ओझल कर दिया हो, लेकिन दीपावली पूजन में व्यापारी अब भी बहीखातों की पूजा करते हैं। पारंपरिक तौर पर दीपावली के पहले शुभ मुहूर्त पर विधि विधान से नए बहीखाते खरीदकर लाए जाते हैं और उसके साथ ही नए वर्ष का व्यापार भी शुरू करते हैं। दीपावली पर पूजन के साथ ही नए सौदे मुहूर्त के दर्ज भी किए जाते हैं।
बहीखाता पूजन का काफी महत्व
ज्योतिर्विद पं. गुलशन अग्रवाल ने बताया कि अभी भी व्यापार में बहीखाता पूजन का महत्व है। व्यापारी शुभ मुहूर्त में जहां बड़े पैमाने पर बहीखाता क्रय करते हैं वहीं उनका पूजन कर अपने व्यापार का नया वर्ष भी शुरू करते हैं। शुक्रवार को सुबह से शाम तक बहीखाते बड़ी संख्या में खरीदे जाएंगे।
बहीखाता लाने का शुभ मुहूर्त
(13 अक्टूबर)
सुबह 8.36 से 10.51 बजे तक
दोपहर 12.36 से 3.41 बजे तक
शाम 5.11 से 6.15 बजे तक
बहीखाता पूजन मुहूर्त ( 19 अक्टूबर )
सुबह 6.41 से 8.01 बजे तक
सुबह 10.36 से 11.51 बजे तक
दोपहर 12.41 से 3.11 बजे तक
शाम 4.41 से 5.51 बजे तक
शाम 6.21 से 9.15 बजे तक