दो दशक पहले इंदौर में बड़ा बवाल हो गया था जिसमें हिंदूवादी संगठनों शहर को माथे पर उठा लिया था। एक बार फिर वहीं परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं। वह बवाल उस वक्त हुआ था जब जिला प्रशासन ने कर्बला मैदान की जमीन को वक्फ बोर्ड के नाम पर कर दिया था। उसको लेकर चरणबद्ध आंदोलन हुआ जिसमें जमकर हंगामे भी हुए। बवाल के बाद में जिला प्रशासन ने अपनी गलती सुधारते हुए वक्फ बोर्ड का नाम जमीन से हटा दिया, लेकिन कुछ दिनों पहले एक बार फिर जमीन वक्फ बोर्ड के नाम पर हो गई।
इस बात की भनक हिंदू जागरण मंच तक पहुंच गई जिसके चलते आंदोलन की रूप रेखा तैयार हो रही है। मंच के प्रांत सहसंयोजक संजय भाटिया, धीरज यादव, सोहन जोशी, जगदीश खत्री और सुनील हार्डिया और उनकी टीम रणनीति बना रहे हैं। उसका आगाज हनुमान जयंती से होगा। मैदान को एक दिन पहले भगवामय किया जाएगा तो मंदिर में विशेष सजावट की जाएगी।एक बड़ा झंडा नाग देवता की बांबी पर लगाया जाएगा, जहां पर वर्षों से महिलाएं पूजा करती आ रही हैं। सुबह से रामकथा का आयोजन रखा गया है जो रात तक चलेगा। शाम को महाआरती रखी गई है जिसके साथ दस हजार लोगों का भंडारा भी किया जा रहा है। इसके साथ जमीन को फिर से सरकारी घोषित करने और वक्फ बोर्ड को भंग करने के लिए आंदोलन किया जाएगा।
शहर के सात स्थानों से आएगी भीड़
कर्बला मैदान में हनुमान जयंती पर होने वाले कार्यक्रम को लेकर हिंदूवादी संगठन भीड़ जुटाने की तैयार कर रहे हैं। शहर के सात स्थानों से अलग -अलग वाहन रैलियां निकलकर कर्बला मैदान जाएंगी। इसके अलावा आसपास की बस्तियों को भी न्योता दिया जा रहा है ताकि वे दिनभर चलने वाले धार्मिक आयोजन में शामिल रहे।
कैसे हो गई वक्फ की जमीन
मंच के प्रांतीय सहसंयोजक संजय भाटिया का कहना है कि वक्फ बोर्ड ने खुद ही फैसला करके जमीन अपने नाम कर ली। ये कैसे हो सकता है जब जमीन का केस सेशन कोर्ट में चल रहा है। एक देश में दो कानून कैसे हो सकते हैं? कर्बला मैदान की जमीन पर 200 हिंदू परिवार कई पीढिय़ों से यहां रह रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड में यहां पर तीन मंदिर हैं तो ये जमीन वक्फ की कैसे हो गई? जमीन पर हिंदू समाज का अधिकार है। कर्बला के ताजिए महज छोटी सी जगह पर ठंडे किए जाते हैं।