कोई भी अपराध होने पर पुलिस घटना से जुड़े कारणों की तलाश करती है, जिससे गुत्थी सुलझाने और अपराधी को पकडऩे में आसानी होती है लेकिन कालरा के घर हमले के मामले में पुलिस का फॉर्मूला बिल्कुल उलट है। जीतू से बहस के बाद कालरा के घर पर हमला हुआ। बकायदा कॉल डिटेल व रिकॉर्डिंग में भी इसका खुलासा हो रहा है तो 20 दिन बाद अब एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिससे जीतू के शामिल होने की पुष्टि भी हो रही है।
कालरा को एक परिवार ने ये वीडियो दिया। उसमें जीतू की कार साफ नजर आ रही है, जिसकी नंबर ह्रश्वलेट के ऊपर मेयर इन कौंसिल लिखी प्लेट लगी हुई है। इसमें से उतरकर गुंडेबदमाश पार्षद कालरा के घर में घुसे थे और उत्पात मचाया था। अब कालरा इस वीडियो को भी सबूत के तौर पर पुलिस को सौंपेंगे। बाकी वीडियो में ये कार तो दिख रही थी लेकिन नेम प्लेट वाली तती अब तक नजर नहीं आई थी। इस वीडियो में ये खुलासा हो रहा है।
शहरभर में लगे हैं सीसीटीवी कैमरे
पुलिस की भूमिका पर अब आमजन को संदेह होने लगा है। कुलकर्णी नगर से कालरा के घर तक 10 से 12 कारों के काफिले में बदमाश पहुंचे थे और लौटे भी थे। पुलिस चाहती तो अब तक रास्ते के सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाल लेती, जिसमें जीतू की गाड़ी के शामिल होने का भी सबूत सामने आ जाता।
पुलिस की ढीलपोल… न कारें जब्त, न ही हथियार
पुलिस ने जीतू-कालरा मामले में अब तक 20 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया लेकिन अब तक घटना में शामिल हथियार जब्त नहीं किए हैं। यहां तक कि जिन कारों में सवार होकर सभी बदमाश घटना करने खातीवाला टैंक आए थे, उन्हें भी पकड़ा नहीं गया।
हाई कोर्ट में बहस, आया जीतू का नाम
हाईकोर्ट में जीतू के खास पिंटू उर्फ पुष्कर रावेरकर ने जमानत याचिका लगाई थी, जिसका सरकारी वकील राजेश जोशी ने खुलकर विरोध किया। तर्क था कि कई फरार हैं और घटना और मामले का सरगना जीतू यादव है और वह अभी तक पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ है। जमानत होने पर यह सबूत प्रभावित कर सकते हैं और चालान भी पेश नहीं हुआ है। इस पर रावेरकर के वकील ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी, इसे मंजूर कर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।