छावनी अनाज मंडी करीब साढ़े १७ एकड़ क्षेत्र में संचालित हो रही है। यह एरिया कारोबारियों को बहुत कम पड़ता है। मंडी शहर के मध्य होने से यातायात भी बाधित होता है। इससे किसानों का रुख अन्य जिलों व मंडियों की ओर हो रहा है, जो व्यापारियों के लिए चिंता का विषय है। प्रशासन ने कैलोद करताल में ५० एकड़ जमीन तय की, लेकिन इसमें लैंड यूज का पेंच फंस गया। हालांकि प्रशासन ने यहां २१ एकड़ से अधिक जमीन आवंटित करने की फाइल भोपाल भेजी है, जहां आवंटन प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
एमडी ने २०० एकड़ की जताई जरूरी
इधर, मंडी एमडी फैज अहमद किदवाई ने शहर के व्यापारियों से चर्चा कर कैलोद करताल की जमीन बहुत कम बताई। उन्होंने कहा, इंदौर की मंडी प्रदेश की सबसे बड़ी मंडी होने से इसे आदर्श और ५० वर्षों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा। इसके लिए २०० एकड़ जमीन होना चाहिए। यदि जमीन नहीं मिलेगी तो मंडी प्रशासन खुद खरीद सकता है। इसके बाद से मंडी प्रशासन ने २०० एकड़ जमीन की तलाश शुरू कर दी।
मंडी शिफ्ट किए जाने के लिए व्यापारी एकमत तो हैं, लेकिन जगह को लेकर संगठन में एक राय नहीं है। अनाज तिलहान संघ कैलोद करताल में प्रशासन द्वारा दी जा रही जमीन पर मंडी विकसित किए जाने के पक्ष में है। दूसरी ओर व्यापारी महासंघ १०० एकड़ जमीन की आवश्यकता बताते हुए बायपास, खासकर ट्रेंचिंग ग्राउंड की जमीन पर मंडी विकसित किए जाने का पक्षधर है।
वर्जन…
वर्तमान स्थान काफी छोटा है। कैलोद करताल में मसाला मंडी के नाम से जमीन चिह्नित की गई है। इंदौर शहर में २०० एकड़ जमीन मिलना मुश्किल है। बड़ी जगह नहीं मिलने तक मंडी वैकल्पिक रूप से कैलोद करताल में शिफ्ट की जाए।
-सुनील जैन, मंत्री, छावनी अनाज मंडी व्यापारी एसोएिसशन
— वर्तमान मंडी से कुछ अधिक जमीन कैलोद करताल टेकरी पर है, जो मंडी के लिए उपयुक्त नहीं है। बायपास के पास, खासकर ट्रेंचिंग ग्राउंड की जमीन पर मंडी शिफ्ट करना चाहिए। निगम से जमीन लेकर उसे छावनी अनाज मंडी की जगह दे देना चाहिए।
-गोपालदास अग्रवाल, अध्यक्ष, व्यापारी महासंघ