अक्टूबर माह में ही अब तक के सबसे ज्यादा मरीज सामने आए हैं। इस माह की बात करें तो अब तक 357 नए मरीज मिल चुके हैं। इसके साथ ही शहर में डेंगू के मरीज मिलने का पिछले 10 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया। जिले में बढ़ रहे डेंगू व मौसम जनित बीमारियों के चलते सामान्य से पांच गुना प्लेटलेट्स की मांग बढ़ गई है। सामान्य दिनों में जहां हर रोज औसतन 2 से 3 यूनिट प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ती थी तो वहीं अब 25 से 30 यूनिट प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ रही है।
शहर में पिछले 2 माह से डेंगू का कहर जारी है। अब डेंगू के कुल मरीजों का आंकड़ा 804 तक पहुंच चुका है। इनके इलाज में प्लेटलेट्स की मांग पांच गुना तक बढ़ गई है। सामान्य दिनों में एमवाय अस्पताल के ब्लड बैंक से हर रोज औसतन दो से तीन यूनिट तक प्लेटलेट्स की मांग हुआ करती थी। निजी अस्पतालों के ब्लड बैंक से भी रोजाना 15 से 20 यूनिट प्लेटलेट्स की मांग हो रही है। डॉक्टरों का कहना है, डेंगू वायरस के चलते प्लेटलेट काउंट कमजरूर हो जाता है। यह जरूरी नहीं कि सभी मरीजों को प्लेटलेट चढ़ाया जाए। शरीर स्वयं रोग से लड़ता है और प्लेटलेट काउंट को फिर बड़ा लेता है।
जरूरी नहीं डेंगू से कम हो प्लेटलेट
डेंगू के मामले में प्लेटलेट्स चढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। 20 हजार से नीचे काउंट होने पर एहतियात के लिए प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है। वहीं, ब्लीडिंग होने पर प्लेटलेट्स काउंट चाहे कितना भी हो प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है। प्लेटलेट्स से अधिक मरीज को ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।
रोज 20 से 25 यूनिट की मांग
एमवायएच ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. अशोक यादव ने बताया, ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में प्लेटलेट्स उपलब्ध है। डॉक्टरों के निर्देश पर प्लेटलेट्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं। डेंगू बढ़ने से हर रोज 20 से 25 यूनिट प्लेटलेट्स की मांग होती है।
सीजन में इसलिए फैलता है डेंगू
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. दौलत पटेल का कहना है, डेंगू या मच्छर जनित बीमारियां इस मौसम में अधिक फैलती है। डेंगू का एडीज लार्वा 16 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान और अधिक आर्द्रता होने पर पनपता है। साथ ही तापमान कम होने के कारण लोग कंटेनर और टकियों में जमा पानी को साफ नहीं करते हैं, जिनमें डेंगू के मच्छर आसानी से अंडे दे देते हैं, जो लार्वा बन जाता है।
डेंगू से ऐसे करें बचाव –
1. घर में व घर के आसपास पानी एकत्र ना होने दें, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
2. यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भर कर रखना है तो ढक कर रखें। यदि जरुरत ना हो तो बर्तन खाली कर के या उल्टा कर के रख दें।
3. कूलर, गमले आदि का पानी रोज बदलते रहें। बारिश का पानी निकालने वाली नालियों, पुराने टायरों, बाल्टियों, प्लास्टिक कवर, खिलौनों और अन्य जगह पर पानी रुकने न दें।
4- स्विमिंग पूल का पानी बदलते रहें और उसे चलता रखें।
5- दीवारों, दरवाजों और खिड़कियों की दरारों को भर दें।
6- बच्चें को सुलाने वाले कैरियर और अन्य बिस्तर को मच्छरदानी से ढक दें।
7. ऐसे कपड़ेे पहनें जो शरीर के अधिकतम हिस्से को ढक सकें।
8. मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे, लिक्विड, इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग मच्छरों के बचाव के लिए करें।
9. सूर्य उदय और अस्त के समय व शाम को घर के अंदर रहें, क्योंकि मच्छर इस वक्त ज्यादा सक्रिय होते हैं।