हेमचंद विवि ने कहा है कि आवेदन शुल्क घटानेे के साथ ही अब ऐसे विद्यार्थी जिन्हें संस्था में चयनित विषय में प्रवेश न मिल पाए तो वे उसी फार्म के जरिए दूसरे विषय का चयन भी कर पाएंगे। मान लीजिए यदि किसी छात्र ने बीएससी के लिए आवेदन किया था, लेकिन मेरिट में उसका नाम नहीं आया। ऐसी स्थिति में वह बीए या बीकॉम लेता है तो इसके लिए छात्र को अलग से कोई फार्म भरने की जरूरत नहीं होगी। कॉलेज का प्राचार्य उसी आवेदन में विषय बदलेगा। इस तरह विद्यार्थियों को राहत मिलेगी। प्राचार्य को विवि के द्वारा सॉफ्टवेयर व ऑफलाइन में इसका अधिकार रहेगा। आवेदन शुल्क जब 100 रुपए किया गया तो सबसे पहले पत्रिका ने इस शुल्क को कम करने के लिए खबर प्रमुख्ता से प्रकाशित की। तब यह मामला उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल के संज्ञान में आया।
विवि प्रशासन ने कहा है कि कॉलेज में प्रवेश के आवेदन ४ जून से शुरू हुए है। अब यदि किसी छात्र ने उक्त तिथि में या उसके बाद १० जून तक आवेदन सौ रुपए चुकाए हैं, उसको बाकी के 50 रुपए वापस लौटाए जाएंगे। इसके लिए संस्था को कहा जाएगा कि वे छात्र के एडमिशन शुल्क में अंतर के ५० रुपए को एडजस्ट कर दे। विवि अलग से छात्र के बैंक खाते में रकम न डालकर, इस तरह की व्यवस्था करेगा।
प्रवेश प्रक्रिया के आवेदन शुरू करने से पहले विवि में ३१ मई को लीड कॉलेजों के प्राचायोँं की बैठक हुई थी, जिसमें सभी प्राचार्यों ने शुल्क को नि:शुल्क रखने की बात कही थी। इसके बाद भी विवि ने आवेदन का शुल्क रखा। खैर, ५० रुपए करना तो ठीक है, लेकिन विवि प्रशासन चाहता तो यह रकम पूरी तरह से हटाई भी जा सकती थी, लेकिन विवि ने यह व्यवस्था नहीं अपनाई।
कॉलेजो में आवेदन के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन का शुल्क सौ से घटाकर ५० रुपए कर दिया गया है। अब छात्रों को विषय बदलने की स्थिति में दूसरा फार्म भी नहीं भरना है। प्राचार्य उसी फार्म में दूसरा विषय दे सकेंगे।