आखिर क्या है पूरी कहानी?
पीडि़त प्रियंका रेड्डी महबूबनगर जिले के कोल्लूर में पशु चिकित्सक के तौर पर काम करती थी। बुधवार को गच्चीबौली के ओलिव स्किन केयर अस्पताल में प्रियंका अपॉइंटमेंट था इसलिए वह करीब पौने छह बजे बाइक पर घर से निकल गई। उसने तोंडुपल्ली टोल प्लाजा पर अपनी बाइक पार्क की। तभी टोल प्लाजा के एक कर्मचरी ने कहा कि पुलिस अवैध रूप से पार्क गाडिय़ों को उठा ले जा रही है। इसलिए उसने अपनी बाइक टोल प्लाजा से कुछ दूरी पर पार्क कर दी। जब वह लौटी तो उसकी बाइक का टायर पंचर था। प्रियंका को बाइक के पास परेशान देख 2 लोग, जो लॉरी ड्राइवर थे मदद का आश्वासन देने लगे। प्रियंका इन अनजान लोगों को देख और ज्यादा घबरा गई। उसने अपनी छोटी बहन भव्या को कॉल किया और सारी परिस्थिति बताई। बहन ने उसे बाइक वहीं छोड़ कर घर लौटने की सलाह दी और कहा कि बाइक सुबह ले लेगी। प्रियंका ने लॉरी ड्राइवरों से कहा कि वह बाइक लेकर बस स्टॉप तक चली जाएगी और वहां से घर के लिए बस ले लेगी तो ड्राइवरों ने उसे जाने नहीं दिया। उन्होंने प्रियंका को वही रुकने को कहा और एक छोटे बच्चे को उसकी बाइक ठीक कराने के लिए भेज दिया। कुछ देर बाद वह लड़का यह कहते हुए लौट आया कि सारी दुकानें बंद थी। करीब साढ़े नौ बजे प्रियंका ने फिर से अपनी बहन को कॉल किया कहा कि लॉरी ड्राइवर उसे जाने नहीं दे रहे हैं। वे सब बाहर ही खड़े हैं। उन्होंने उसकी बाइक ठीक कराने के लिए भी भेजी, मगर सारी दुकानें बंद थी। उसने कहा कि वह बहुत घबराई हुई है और वह फोन से बात करती रहे। करीब 6 मिनट तक बात दोनों बहनों के बीच बात हुई।
लॉरी ड्राइवरों ने क्यों नहीं जाने दिया?
जब प्रियंका ने ड्राइवरों से कहा कि वह जाना चाहती है, तो उन्होंने उसे जाने नहीं दिया और गाड़ी को किसी और दुकान पर ठीक कराने के लिए भेज दिया। प्रियंका ने फिर से अपनी बहन को कॉल किया लेकिन ठीक से बात नहीं हो पाई। करीब 20 मिनट बाद प्रियंका की बहन ने प्रियंका को फोन लगया मगर उसका फोन बंद आ रहा था। फोन बंद होने से भव्या और उसके परिवार के सदस्य घबरा गए। जब 10 बजने पर भी प्रियंका का फोन नहीं लगा तो प्रियंका के परिवार के सदस्य ढूंढऩे निकल पड़े। उन्होंने टोल प्लाजा का पूरा इलाका छान मारा और वहाँ उपस्थित लोगों से भी पूछा परन्तु प्रियंका के बारे में कुछ पता नहीं चला। प्रियंका के न मिलने पर परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज करने की सोची। वे शादनगर पुलिस थाने पहुंचे। वहाँ के पुलिस अधिकारी ने प्रियंका के परिवार से बहुत ही रूखे स्वभाव में बात की। कहा कि प्रियंका किसी लड़के के साथ भाग गयी होगी। प्रियंका की माँ ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि उनकी बेटी ऐसी नहीं है मगर उन्होंने उनकी बात नहीं सुनी। आखिरकार पुलिस ने उनकी शिकायत कर्ज कर ली।
अधजले शव की चर्चा पर पहुंचे परिजन
अगली सुबह करीब 7 बजे हैदराबाद-बंगलुरू नेशनल हाईवे 44 के राहगीरों ने शादनगर पुलिस को सड़क पर एक जले हुए शव की खबर दी। पुलिस की टीम खोजी कुत्तों के साथ पहुंच गयी। शव से थोड़ी दूरी पर एक स्कार्फ गिरा हुआ था। पुलिस ने शमशाबाद में रहने वाले प्रियंका के परिजनों को पहचान के लिए बुलाया। प्रियंका के परिजन तुरंत घटनास्थल पर पहुँच गए। शव के गले से प्राप्त गणेश के लॉकेट और स्कार्फ को देख परिजनों ने पहचान लिया कि वह प्रियंका ही है। पुलिस ने जांच के लिए कई विशेष टीमें बनाईं। जांच में उन्हें पता चला कि प्रियंका की हत्या टोल प्लाजा के करीब एक सुनसान जगह पर की गई और उसके शव को बाइक सहित चट्टानपल्ली के बाहरी इलाके में सड़क पर फेंका गया। पुलिस ने टोल प्लाजा का सीसीटीवी फुटेज देखा मगर उसमें सिर्फ 9 बजे तक की तसवीरें ही थीं मगर अपहरण की तसवीरें नहीं थीं। विशेष टीम को टोल प्लाजा के पास झाडिय़ों में से प्रियंका के चप्पल और आईडी कार्ड प्राप्त हुआ और कोथूर गाँव के नजदीक नेशनल हाईवे 44 के पास की झाडिय़ों से प्रियंका की बाइक मिली। अपराधियों ने बाइक की नंबर प्लेट को निकाल कर बाइक को सड़क के पास झाडिय़ों में फेंक दिया था। सभी आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या के पहले रेप की भी बात कही गई है।