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संविधान देश का पवित्र ग्रंथ, सभी देशवासियों को समान अधिकार और समान अवसर देता है

संविधान दिवस पर राजस्थान पत्रिका परिचर्चा

हुबलीNov 26, 2024 / 04:26 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

संविधान दिवस के अवसर पर हुब्बल्ली (कर्नाटक) में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखते प्रवासी।

संविधान दिवस के अवसर पर हुब्बल्ली (कर्नाटक) में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखते प्रवासी।

26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने संविधान के उस प्रारूप को स्वीकार किया जिसे डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता में ड्राफ्टिंग कमेटी ने तैयार किया था। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ और भारत एक गणराज्य बना। भारत सरकार के द्वारा 2015 से 26 नवंबर के दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। निश्चित तौर पर संविधान दिवस हर भारतीय के लिए बेहद प्रेरित करने वाला दिन है। संविधान दिवस के अवसर पर हुब्बल्ली (कर्नाटक) में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में प्रवासियों ने अपने विचार साझा किए। प्रस्तुत हैं परिचर्चा के प्रमुख अंश:
महिलाओं के अधिकारों का विशेष ध्यान रखा
जोधपुर निवासी अभिषेक मेहता ने कहा, आज भी भारत की अनगिनत महिलाएं इस बात से अनजान है कि भारतीय संविधान के निर्माण की जिम्मेदारियों को पूरा करने में भारत की 15 विदुषी महिलाएं भी शामिल थीं। इनमें से ज्यादातर महिलाओं ने स्वतंत्रता संघर्ष और भारत की समस्याओं को बेहद नजदीक से देखा और महसूस किया। साथ ही स्वतंत्रता आन्दोलनों में महिला आन्दोलन को न केवल आकार दिया बल्कि पितृसत्तात्मक समाज की चुनौतियों से भी मुकाबला किया। भारतीय समाज की आधी आबादी को मुख्य धारा से जोडऩे के लिए मजबूत कदम उठाए। भारत के संविधान निर्माताओं की कोशिश थी कि भारतीय संविधान के निर्माण में महिलाओं के अधिकारों का विशेष ध्यान रखा जाए इसलिए भारतीय संविधान के निर्माण में 15 विदुषी महिलाओं को संविधान सभा की सदस्य के तौर पर शामिल किया गया, जिनका भारत के गौरवशाली संविधान के निर्माण में अहम् योगदान रहा। इनके द्वारा न केवल महिला अधिकारों की वकालत की गई बल्कि एक सशक्त प्रगतिशील संविधान का निर्माण हो सके इस बात का भी विशेष ध्यान रखा गया।
हर वर्ग के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव
बालोतरा जिले के मोतीसरा निवासी लालाराम चौधरी ने कहा, यकीनन भारतीय संविधान समाज के हर तबके को ध्यान में रखकर निर्मित किया गया था। इसे तैयार होने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा। भारतीय संविधान में समाज की असमानता, असुरक्षा जैसी भावना को समाप्त करने के किए गए प्रावधानों से भारत को सशक्त और अखण्ड़ भारत बनाने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाई है। भारतीय संविधान ने हर वर्ग के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में समानता का अधिकार और भेदभाव न करने का अधिकार दिया है। 73वें और 74वें संविधान संशोधन के द्वारा पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य कर दिया है। जिसका सीधा संबंध महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक स्वतंत्रता के साथ सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।
आज का दिन देश के लिए खास
बालोतरा जिले के भलरों का बाड़ा निवासी मालाराम चौधरी ने कहा, देश आज संविधान दिवस मना रहा है। आज के दिन हम बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को याद करते हैं। संविधान को कार्यरूप देने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही। भारत के लिए आज का दिन काफी खास है। आज ही के दिन हमारे देश ने संविधान को अपनाया था। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में हमारा संविधान बना जिसके बाद इसे आज तक सर्वोपरि माना जाता है। आज का युवा वर्ग संविधान और अपने अधिकारों को जानने में रुचि ले रहा है। हमारा संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है। हमारे संविधान के माध्यम से, हमने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया है।
देश के लोगों को एक साथ लाने में मदद
जालोर जिले के हरजी निवासी केसाराम चौधरी ने कहा, संविधान सभी देशवासियों को समान अधिकार देता है। समान अवसर देता है। संविधान सभी को मौलिक अधिकार देता है। बाबा साहेब भीमराम आंबेडकर ने संविधान को देश की आत्मा बताई थी। संविधान देश का पवित्र ग्रंथ है। अंबेडकर ने कहा था- हमारा संविधान एक ऐसा दस्तावेज होना चाहिए, जो न केवल हमारी देश की स्वतंत्रता और समानता की रक्षा करें बल्कि देश के लोगों को एक साथ लाने में मदद करें। आज हमारे देश के लिए महान और पवित्र दिन है। आज संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे हो गए हैं। हमें जो संविधान मिला हैं वह दुनिया का सबसे खूबसूरत संविधान है।

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