इस अवसर पर चौधरी ने कहा कि विश्व दिव्यांग दिवस हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। हर व्यक्ति में अपार संभावनाएं हैं, चाहे वह शारीरिक रूप से किसी भी स्थिति में हो। यह दिन उन लाखों दिव्यांग व्यक्तियों को सम्मानित करने का दिन है, जो जीवन की कठिनाइयों को चुनौती देकर समाज में अपनी विशेष पहचान बना रहे हैं। दिव्यांगता केवल शारीरिक या मानसिक स्थिति नहीं, बल्कि एक अनोखा अनुभव है, जो इंसान को संघर्ष, साहस और उम्मीद का रास्ता दिखाता है। जो लोग दिव्यांग होते हैं, वे दुनिया को अपनी नजर से देखते हैं और हर चुनौती को अपनी ताकत बनाते हैं। उनका हर कदम प्रेरणा है, जो यह सिखाता है कि जीवन में अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। ऐसे कई दिव्यांग हैं जिन्होंने चुनौतियों को हौसलों के तले कुचलकर सफलता का परचम लहराया है।
इस अवसर पर दूदाराम चौधरी , गीगीदेवी चौधरी एवं भूमिका चौधरी ने स्कूल एवं विद्यार्थियों के लिए खेल सामग्री प्रदान की। वहीं स्कूल के छात्रों को मिष्ठान का वितरण किया गया। इस मौके पर दूदाराम चौधरी परिवार ने भविष्य में भी ऐसे आयोजनों के लिए सहयोग प्रदान करने का भरोसा दिलाया। इस अवसर पर दिव्यांग विद्यार्थियों की ओर से तैयार किए गए उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
उषा स्कूल ऑफ स्पेशल चिल्ड्रन की प्रधानाचार्य एंजेलिका ने स्कूल की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली के संपादकीय प्रभारी अशोक सिंह राजपुरोहित ने राजस्थान पत्रिका के सामाजिक सरोकारों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों का संघर्ष केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक भी होता है। समाज की कई पूर्वधारणाओं और भेदभाव का सामना करते हुए वे अपने जीवन को न सिर्फ चुनौती देते हैं, बल्कि अपनी कड़ी मेहनत से समाज के सामने एक उदाहरण भी प्रस्तुत करते हैं। खेल हो, कला हो या किसी भी अन्य क्षेत्र में, दिव्यांग व्यक्ति हर कदम पर साबित करते हैं कि उनका इरादा सबसे मजबूत है।