गौर करने वाली बात यह भी है कि अमूमन देखा जाता है कि सरकारी स्कूलों में संसाधनों का टोटा रहता है लेकिन उस लिहाज से देखा जाएं तो इस स्कूल में स्मार्ट क्लास, कम्प्यूटर समेत तमाम संसाधन है। स्कूल में सात कक्षा-कक्ष एवं एक सभागार है। स्कूल में एक प्रधानाध्यापक और एक मिड-डे-मील वर्कर समेत दो शिक्षक हैं। पिछले एक महीने से वे एक ही विद्यार्थी को पढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। अब इस विद्यार्थी के भी अन्य स्कूल में प्रवेश लेने पर स्टाफ स्कूल के भविष्य को लेकर चिंतित है। इसी स्कूल से पढ़कर निकले कई छात्र देश में प्रतिष्ठित पदों पर आसीन है लेकिन अब हालात यह है कि आसपास के अभिभावक अपने बच्चों को इस स्कूल में प्रवेश दिलाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
स्कूल के शिक्षकों ने स्कूल को बचाने के लिए नामांकन अभियान भी चलाया लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। आसपास के अन्य गांव हिरेगडे गांव के तलावने एवं अरालीकोप्पा में सरकारी स्कूल पहले ही छात्रों की कमी के चलते बन्द हो चुके हैं। ऐसे में अब सीगोडू का यह सरकारी स्कूल भी छात्रों की कमी के चलते जल्द बन्द हो सकता है। स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा, माता-पिता अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेज रहे हैं। ऐसे में सरकारी स्कूल में पढऩे के लिए छात्र ही नहीं है।