अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा, “संभल में घटना हुई है, वो एक सोची समझी-साजिश के तहत हुई है और संभल में भाईचारे को गोली मारने का काम हुआ है। देशभर में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों, जो बार-बार खुदाई की बातें कर रहे हैं, ये खुदाई हमारे देश का सौहार्द, भाईचारा, गंगा-जमुनी तहजीब को खो देगा। ये सोची-समझी साजिश इसलिए बोल रहा हूं, क्योंकि यूपी विधानसभा के उपचुनाव 13 नवंबर को होना था। इन्होंने तारीख 13 नवंबर से बढ़ाकर 20 नवंबर कर दिया। संभल के शाही जामा मस्जिद के खिलाफ 19 नवंबर 2024 को सिविल जज सीनियर डिविजन चंदौसी संभल में एक याचिका डाली गई। कोर्ट ने दूसरे पक्ष को सुने बगैर उसी दिन सर्वे के आदेश दे दिए। ये ताज्जुब की बात है। दो घंटे बाद सर्वे की टीम संभल पुलिस बल के साथ वहां पहुंच गई।”
‘22 नवंबर को लोगों ने जुमे की नमाज अदा की’
उन्होंने आगे कहा, “संभल जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने ढाई घंटे के बाद बताया कि सर्वे पूरा हो चुका है और रिपोर्ट कोर्ट को भेज दी जाएगी। 22 नवंबर को शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने के लिए लोग जामा मस्जिद पहुंचे। मगर, पुलिस प्रशासन ने बैरिकेड लगा दिया, ताकि लोग नमाज नहीं पढ़ सके। उसके बाद भी लोगों ने संयम बरतते हुए नमाज अदा की और किसी तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं किया।” सपा प्रमुख ने आगे कहा, “29 नवंबर को कोर्ट में अगली सुनवाई की तारीख तय थी, जिसके लिए शाही जामा मस्जिद कमेटी और मुस्लिम समाज के सभी लोग केस की पैरवी की तैयारी कर रहे थे। हालांकि, 23 नवंबर की रात पुलिस प्रशासन ने घोषणा की कि अगले दिन, 24 नवंबर को दोबारा सर्वे किया जाएगा। शाही जामा मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब कोर्ट में तारीख तय हो चुकी है, तो नए सर्वे की जरूरत क्यों पड़ रही है।”
‘लाठीचार्ज में घायल हुए कई लोग’
सपा प्रमुख ने आगे कहा, “24 नवंबर को जब सर्वे शुरू हुआ, मुस्लिम समुदाय ने शांति और धैर्य बनाए रखा। लेकिन लगभग एक घंटे बाद जब लोगों को सर्वे के कारणों की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई, तो सवाल उठने लगे। स्थानीय लोगों ने अधिकारियों से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। इस दौरान तनाव बढ़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई लोग घायल हो गए। इसके विरोध में कुछ लोगों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पथराव कर दिया।”
सपा प्रमुख ने कहा, “जिसके बदले में पुलिस के सिपाही से लेकर अधिकारियों ने सरकारी और अपने प्राइवेट हथियारों से गोलियां चलाई। जिसका वीडियो रिकॉर्डिंग भी है, जिसके एवज में दर्जन लोग घायल हो गए है। पांच मासूम, दो अपने घर से सामान लेने के लिए निकले थे। उनकी मृत्यु हो गई। संभल का माहौल बिगाड़ने में याचिका दायर करने वाले लोगों के साथ पुलिस और प्रशासन के लोग जिम्मेदार हैं, उन्हें निलंबित किया जाना और हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए, ताकि आगे कोई संविधान के खिलाफ इस तरह का काम ना कर सके।”