करियप्पा ने साल 1947 में भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। करियप्पा 14 जनवरी 1986 को फील्ड मार्शल का खिताब हासिल करने वाले दूसरे व्यक्ति थे, उनसे पहले साल 1973 में भारत के पहले फील्ड मार्शन बनने का सम्मान सैम मानेकशॉ को मिला है।
करियप्पा साल 1947 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना की कमान संभाल रहे थे। भारत ने इस युद्ध में पाकिस्तान ( Pakistan ) को करारी शिकस्त दी थी। सेना दिवस के अवसर पर पूरा देश थल सेना की वीरता, साहस, शौर्य और उसकी कुर्बानी को याद कर उन्हें सलाम करता है।
साल 1949 में आज के दिन ही भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर की जगह पर तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा ने भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ का कार्यभार संभाला था। इसलिए ही पूरा देश इस दिन को सेना दिवस ( Sena Diwas ) के रुप में मनाता है।
केएम करियप्पा का जन्म साल 1899 में कर्नाटक के कुर्ग में हुआ था। फील्ड मार्शल करिअप्पा ने महज 20 साल की उम्र में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी शुरू की थी। वहीं साल 1953 में करिअप्पा सेना से रिटायर हो गए थे। जबकि 15 मई 1993 को बेंगलुरु में उनका निधन हो गया था।
इस मौके पर दिल्ली में सेना कमान मुख्यालय के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में सैन्य परेड और शक्ति प्रदर्शन जैसे विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भारतीय सेना का गठन 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता में किया था।
भारतीय सेना में फील्ड मार्शल का पद सर्वोच्च होता है। सेना में इस पद को सम्मान के तौर पर देखा जाता है। भारतीय इतिहास में अभी तक इस रैंक से सिर्फ दो अधिकारियों को नवाजा गया है। इसलिए करियप्पा और सैम मानेकशॉ भारतीयों के जेहन में सदा अमर रहेंगे।