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भोजपुरी फिल्में बनाना चाहती थीं ‘संजू’ की नानी, बनारस की इन गलियों से था नरगिस का ताल्लुक

संजय दत्त के जीवन के ऊपर बनी फिल्म ‘संजू’ बॉक्स ऑफिस खूब धूम मचा रही है लेकिन इस फिल्म में एक बात का जिक्र नहीं हुआ है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

Jul 05, 2018 / 12:41 pm

Priya Singh

story about sanjay dutts grand mother jaddan bai

भोजपुरी फिल्में बनाना चाहती थीं ‘संजू’ की नानी, बनारस की इन गलियों से था नरगिस का ताल्लुक

नई दिल्ली। बीते दिनों से बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त के जीवन के ऊपर बनी फिल्म ‘संजू’ बॉक्स ऑफिस खूब धूम मचा रही है। फिल्म ‘संजू’ को संजय दत्त के जीवन से जुड़ी बेहतरीन फिल्म बताया जा रहा है। लेकिन इस फिल्म में एक बात का जिक्र नहीं हुआ है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं संजय दत्त की नानी, यानी बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा नरगिस की मां जद्दनबाई का। जानकारी के लिए बता दें कि, जद्दनबाई का मन भोजपुरी फिल्में बनाने का था। जद्दनबाई पहली ऐसी शख्सीयत थीं जिन्हें भोजपुरी फिल्में बनाने का आईडिया आया था। बनारस में चौक थाने के पास रहने वाली जद्दनबाई बेहद अच्छा गाया करती थीं उन्होंने संगीत की शिक्षा दरगाही मिश्र और उनके सारंगी वादक के बेटे गोवर्धन मिश्र से ली की थी।

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बॉलीवुड में जद्दनबाई के योगदान की बात करें तो वर्ष 1935 में पहली बार उन्होंने सी.एम. लुहार निर्देशित फिल्म ‘तलाश-ए-हक’ में संगीत दिया था। जद्दनबाई का गया हुआ गाना “लागत करेजवा में चोट” आज भी लोग दिल थाम के सुनते हैं। नरगिस की हसरत थी वे डॉक्टर बनें लेकिन उनकी मां के आगे वो मजबूर हो गईं और हिंदी सिनेमा में अपना करियर बनाया। आज भी नरगिस को बॉलीवुड की प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक माना जाता है।

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बनारस की रहने वाली जद्दनबाई की मातृभाषा भोजपुरी है। उन्हें ठुमरी गायन और नृत्य में पारंगत हासिल थी लेकिन भोजपुरी भाषा के प्रति प्रेम ने ही मशहूर फिल्मकार महबूब खान को आखिरकार मजबूर कर ही दिया वर्ष 1943 में बनी फिल्म ‘तकदीर’ में जद्दनबाई की पसंद का एक गाना रखा गया। फिल्म ‘तकदीर’ में जद्दनबाई की पसंद और इच्छा से मजबूर होकर भोजपुरी भाषा की एक ठुमरी रखी गई थी। वह गाना इतना प्रसिद्ध हुआ कि खुद जद्दनबाई और निर्माता महबूब खान को भी हैरानी हुई गाने के पॉपुलर होने के बाद ही जद्दनबाई को भोजपुरी फिल्में बनाने की सूझी लेकिन वो कभी इसमें कामियाब नहीं हो पाईं।

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